Monday, February 11, 2013

पति की मौजूदगी में दूसरे मर्द के साथ सेक्स-2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

पति की मौजूदगी में दूसरे मर्द के साथ सेक्स-2

लेखक : अरुण

हम बड़े से ड्राइंग रूम में आये, प्रफुल्ला मेरे लिए बारी बारी से पानी,
चाय, नाश्ता लाती रही, चेतन भी उसका भरपूर सहयोग कर रहा था, पर मारे
उत्तेजना के और आने वाले पलों की कल्पना मात्र से मैं उत्तेजित हो रहा
था, मुझसे कुछ भी खाया-पीया ही नहीं जा रहा था।

जैसे तैसे इन सबसे फ्री हुए और चेतन का उतावलापन देखो कि सबसे पहले वो ही
बोला- तो... अब चले बेडरूम में? क्या कहते यार अरुण?

मैंने प्रफुल्ला की तरफ देखा और बोला- बोलो भाभी, क्या कहती हो?

और पता है उसने क्या कहा- जल्दी से आओ !

और खुद ही उठ कर चल दी, फिर हम दोनों भी चल दिए।

बेडरूम बहुत ही शांत, ए सी चला हुआ था तो ठण्डा था, डबलबेड भी बड़ा था,
पास ही दो सोफे लगे हुए थे मैंने पूरे कमरे का मुआयना किया।

चेतन प्रफुल्ला को कंधे से पकड़ कर मेरे सामने ले आया और बोला- लो संभालो इसे !

प्रफ़ुल्ला चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई एकदम सावधान की मुद्रा में !

मैंने उसके गाल सलाए जो बहुत गर्म हो रहे थे।

मेरा स्पर्श पाते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली, मैं उसके गाल सहलाते हुए
उसकी गर्दन और वक्ष की गोलाइयों को सहलाते हुए चेतन से बोला- कहाँ से
शुरू करूँ दोस्त?

वो सोफे पर जाकर बैठ गया था, वो सिसकारी सी लेते हुए बोला- पहले तो इसका
फुल बोडी चेकअप करो, जैसा तुमने अपनी कहानी में लिखा था।

प्रफुल्ला भी बोल पड़ी- हाँ प्लीज़, करो ना !

वो दोनों ही मेरी पहली कहानी से बहुत जबरदस्त प्रभावित दिखाई दे रहे थे।

और मेरा हाल तो पूछो ही मत, एक निहायत ही उत्तेजक यौवना पत्नी मेरे
सुपुर्द की जा चुकी थी जिसके साथ मुझे बिना किसी डर के कुछ भी करने की
छूट मिल चुकी थी और मेरे अन्दर नई नई उत्तेजक योजना बन रही थी। मैंने
दोनों हाथों से उसके गाल सहलाए और कहा प्रफुल्ला- तुम मुझे पूरा सहयोग
करोगी?

उसने सिर्फ सर हिला कर सहमति जताई।

अब मैंने वासना के कामुक खेल के शुरुआत करते हुए सबसे पहले उसका साड़ी का
पल्लू नीचे गिरा दिया, फिर अपने हाथों को उसके बदन से सटा कर उसके अनावृत
पेट पर ले गया और नाभि सहलाई। इससे उसकी साँसें तेज़ हो गई, चेतन भी
चौकन्ना होकर देख रहा था, मैं अब अपना एक हाथ उसकी साड़ी के अन्दर डाल
दिया।

वो चिहुंक उठी, उसे लगा मेरा हाथ उसकी चूत में जा रहा है, लेकिन मुझे
इतनी जल्दी सब कुछ नहीं करना था, मैंने तो बस उसकी साड़ी की पलीट्स बाहर
निकाल दी। अब उसकी साडी ढीली हो चुकी थी, जिसे मैंने आहिस्ता आहिस्ता
उसके बदन से अलग कर दिया और इकठ्ठा कर के चेतन की तरफ फेंक दिया।

अब प्रफ़ुल्ला ब्लाउज और पेटीकोट में थी, साड़ी हटते ही उसकी कामुक देह का
आभास होने लगा था, अब मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके खुले
पल्ले अलग कर के छोड़ दिए उसे पूरा निकाला नहीं।

अब मैं घूम कर उसके पीछे चला गया और उसे कंधे से पकड़ कर उसके पति चेतन के
सामने ला खड़ा किया, चेतन को भी यह अच्छा लगा और अब मैंने पीछे से ही उसके
ब्लाउज को उसकी बाहों से निकाल दिया और चेतन को दे दिया, फिर उसकी पीठ
सहलाते हुए ब्रा के हुक भी खोल दिये।

उसके उरोज इतने उभरे और मोटे मोटे थे कि ब्रा तो खुद ही झटके से उछल कर
अलग हो गई जिसे चेतन ने ही निकाल कर अपने पास रख लिया।

मैंने मुस्कुराते हुए उसे जब थैंकयू कहा तो इतने गंभीर माहौल में भी
प्रफ़ुल्ला और चेतन दोनों को ही हंसी आ गई और वो यह भूल गई कि उसके वक्ष
अनावृत हो चुके हैं।

मेरा हमेशा का नियम है कि मैं जब भी ब्रा में कैद कबूतरों को आज़ाद करता
हूँ तो दोनों को अच्छे से सहलाता हूँ, इससे स्त्री को बहुत सुख मिलता है।

कुंवारे लड़के इस बात को नोट कर लेना।

यहाँ भी प्रफ़ुल्ला को बहुत मज़ा आ रहा था जो उसकी आहों से पता चल रहा था।

लेकिन मेरा काम अभी बाकी था, मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोजा, उसकी
गाँठ खोली और उसे पूरा चौड़ा कर दिया और फिर एक बार उसे पूरा ऊपर उठा
दिया, फिर चेतन को कहा - यार देख, पेटीकोट का एक साथ नीचे पैरों में
गिरते हुए देखना बहुत ही सेक्सी होता है। ओ के ? मैं छोड़ रहा हूँ इसे !

वो बेसब्री से बोला- हाँ प्लीज़ ! मैं देख रहा हूँ !

और मैंने पेटीकोट को नीचे गिर जाने दिया।

वो सरसराता हुआ अपने पीछे चिकनी नंगी जांघें और पिंडलियाँ छोड़ता हुआ
पैरों पर जा गिरा।

और दोस्तो, मैं आपको आँखों देखी बता रहा हूँ कि अब प्रफ़ुल्ला 99% नंगी हो
चुकी थी। आपको पता है यह बात में क्यों कह रहा हूँ?

क्योंकि ये आजकल की लड़कियाँ इतनी ज्यादा छोटी अंडरवियर पहनती हैं कि बाप रे !

और ये आती भी बहुत महंगी हैं और छुपाती भी कुछ नहीं !

और इसने भी इसी तरह की चड्डी पहन रखी थी जिसमें अगल-बगल और चूतड़ पर तो
सिर्फ डोरी ही थी। बस आगे योनि-लबों पर ही जरा सा कपड़ा था, वो भी
पारदर्शी और जाली वाला !

खैर यह जो भी था ! मैंने उसे खिसकाने के लिए जैसे ही हाथ लगाया कि
प्रफ़ुल्ला की शर्म जाग गई वो भाग कर पलंग पर जा छिपी।

सच बताऊँ ! मुझे हंसी आ गई कि यार अब इसके शरीर पर बचा ही क्या है !

लेकिन मुझे उसका भागना ना जाने क्यों अच्छा भी लगा, शर्मो हया लड़कियों पर
फ़बती है। यह कहानी हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

वो बिस्तर पर अपने हाथ पैर सिकोड़ कर पड़ी हुई थी, चेतन ने मुझे भी इशारा
किया वहाँ जाने का और खुद भी अपना सोफा पलंग के नज़दीक ले गया।

और मैं तो उसको अब छोड़ना ही नहीं चाहता था, इसलिए उसके पीछे पीछे पलंग
पर आ गया, वो अब औन्धी लेट गई थी।

मैं उसके पास गया और उसके बदन को सहलाते हुए उसकी नाम मात्र की डोरी नुमा
पैंटी भी खींच कर निकाल दी और अब वो शत-प्रतिशत, पूर्ण नग्नावस्था में
पलंग पर पसरी हुई थी।

मेरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था, चेतन की भी हालत ऐसी ही थी।

कुदरत का क्या करिश्मा था कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और
उत्तेजित कर देती है।

उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए मुझसे पूछा- कैसी है मेरी जानेमन?
तुम्हें पसंद आई?

मैंने भी उसके नंगे जिस्म को सहलाया और कहा- शानदार और क़यामत है !

साथ में एक बात और जोड़ दी- लेकिन अभी तो आधी ही देखी है !

चेतन बोला- ओह कोई बात नहीं, लो पूरी देख लो।

कहते हुए उसने उसे सीधा कर दिया और जैसे ही वो सीधी हुई, दोस्तो, आप खुद
ही सोच सकते हो कि एक कामुक पुरुष की निगाह नारी के किस अंग पर जायेगी,
बिल्कुल सही सोचा, उसकी चूत पर...

और यार क्या बताऊँ ! चिकने सपाट पेट और मांसल और गदराई गदराई जांघों के
बीच काफी उभरी हुई और एकदम सफाचट, चिकनी चूत मेरे सामने थी।

जो पाठक मेरी पिछली कहानी पढ़ चुके हैं उन्हें तो मालूम ही होगा कि मुझे
झांटों वाली चूत पसंद है। लेकिन यार सच कहूँ, इतनी उजली, उभरी, और साफ़
चूत देख कर मेरा तो शरीर काँप गया और पहले से हो कड़क हो रहा लण्ड भी
पत्थर जैसा और कठोर हो गया।

दोस्तो, मेरे सामने पलंग पर निर्वस्त्र और नग्नावस्था में पसरी पड़ी
प्रफुल्ला और और मेरे बीच में अब यदि कोई दूरी बची हुई थी तो वो थी उसके
पति चेतन की मौजदगी की वजह

से मेरा संकोच, अन्यथा उसकी ऐसी अवस्था को देख कर कोई भी पुरुष अपने आप
को रोक ही नहीं सकता था।

और यह संकोच भी खुद चेतन ने ही दूर कर दिया, वो बोला- अरुण, अब बताओ कैसी
लगी मेरी जानेमन?

मैं बोला- यार यू आर लकी ! क़यामत है ये तो ! क्या लग रही है ! क्या फिगर
है ! क्या उत्तेजक अंग हैं !

चेतन बोला- ऐसे ही बोल रहे हो, केवल देखने भर से कोई अंदाजा होता है
क्या, देखने को तो नेट पर एच डी क्वालिटी के ऐसे हज़ारों फोटो हैं।

और उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर उसकी चूत पर रख दिया- यार, तुम्हारे लिए
ही कल ब्यूटी पार्लर से साफ़ करा के आई है !

और वास्तव में चूत निहायत ही चिकनी थी, मैंने पूछा- बाप रे ! क्या यहाँ
की भी थ्रेडिंग होने लगी है आजकल?

इस बार प्रफुल्ला बोली- हाँ, आज कल ब्यूटी पार्लर में सब कुछ होता है। और
बेचारी लड़कियाँ अपने सारे शरीर से रोयें तक साफ़ करा रही हैं लड़कों के
लिए, इसके अलावा बॉडी को फिट रखने के लिए जिम जाती हैं, स्पा, मसाज,
कराती हैं, अपने ब्रेस्ट को शेप कराना, और अब तो चूत को भी सर्जरी से
टाईट किया जा रहा हे और शेप दी जा रही है।

मैंने चेतन को समझाया- यार, यह हेयर रिमूव करना, मसाज और काफी निजी काम
तुम्हें करने चाहिए ! ये भी फॉर प्ले का ही हिस्सा होते हैं और इसमें
दोनों को ही मजा भी आयेगा।

इन्ही बातों के दौरान मैं प्रफुल्ला के जिस्म को सहलाता भी जा रहा था और
अब वो भी मेरे उत्तेजक स्पर्श से कसमसाने लगी थी क्योंकि उसकी जांघें
ऊपर-नीचे हो रही थी और पैर भी चौड़े हो गए थे, मुझे भी अपना हाथ उसकी चूत
में काफी नीचे तक ले जाने की जगह मिल गई थी।

उधर चेतन भी उत्तेजित हो गया था, उसका हाथ अब उसके लण्ड पर था और पैंट के
अंदर ही अंदर वो खड़ा हो चुका था, वो मुझ से बोला- यार अरुण, मुझे जो जो
करना है वो तुम मुझे बाद में विस्तार से समझा देना, ओके ! लेकिन प्लीज़
अभी तो यह तुम्हारे लिए है और मुझे तुम दोनों को देखना है। तुम इसे खूब
प्यार करो, तुम्हें इसकी बेचैनी दिखाई नहीं दे रही? और प्लीज़ इसके एक एक
अंग को देखो और चेक करके बताओ ! पता है प्रफुल्ला की चूत गीली हो गई थी
तुम्हारी बीवी का उत्तेजक बॉडी चेकअप पढ़ कर, और मुझे देखना है प्लीज़
यार, अब वक्त बर्बाद मत करो !

"ओके !" मैंने कहा,"मैं एकबार वाशरूम हो आता हूँ, किधर है?

प्रफुल्ला ने इशारे से बताया- वो कमरे के साथ ही है ना !

दोस्तो, आपको एक राज़ की बात बताऊँ कि वैसे तो मैं सेक्स का बहुत बड़ा
खिलाड़ी हूँ लेकिन इस सेक्सी युगल ने मेरे छक्के छुड़ा दिए थे और मेरा लण्ड
बिल्कुल झड़ने ही वाला था, मैंने सोचा कि दोनों के सामने इज्जत खराब हो
जायेगी इसलिए तुरंत वाशरूम की तरफ भागा, वहाँ जाते ही फ्लश में वीर्य का
फव्वारा छूट गया और मैंने हाथ से रगड़ रगड़ कर उसे पूरा खाली कर दिया।

अब मेरी उत्तेजना भी थोड़ी कम हो गई। यह जरूरी भी था यदि मुझे प्रफुल्ला
के साथ लम्बा सेक्सी खेल खेलना था तो !

उसके बाद मैंने अपने लण्ड को अच्छे से धोकर साफ़ कर लिया और तौलिए से रगड़
कर पौंछ कर वापिस बेडरूम में आ गया।

वहाँ चेतन प्रफुल्ला के साथ चिपक कर लेटा हुआ था, शायद वो मेरे बारे में
ही कुछ बात कर रहे थे, मैंने पूछा- दोस्त, कोई परेशानी हो तो पहले ही बता
देना यार !

"नहीं यार ! ऐसा कुछ नहीं है !" वो पलंग से उठते हुए बोला।

मैंने देखा कि वो दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे और मैं अभी ठीक ठाक था,
यह मेरे लिए अच्छा था और मैं पलंग पर चला गया जहाँ वो हुस्न-परी
वस्त्र-विहीन लेटी हुई थी।

उसके पास पहुँचते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके मुखड़े को अपने
हाथों में भर कर उठा लिया और उस पर चुम्बनों की बरसात कर दी। उसका माथा,
गाल, सुडौल नाक, कान, ठोड़ी और अंत में उसके रसीले होठों को अपने होठों
में भर लिया और मेरे लण्ड में झड़ने के बाद इतनी जल्दी वापिस हलचल शुरू
हो जायेगी, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, मैंने तुरंत अपने आप को
सम्भाला और उसके अनावृत बदन से खेलने का निश्चय किया।

फिर मैंने पास ही पड़े चार तकिये उसके कमर के नीचे लगा कर उसे इस तरह लेटा
दिया कि उसकी गर्दन तकिये से पीछे की तरफ हो गई, और उसके उन्नत उभार
तकिये के ऊपर होने की वजह से और ज्यादा ऊँचे उठ गये और पेट एक फिसल पट्टी
की तरह से बन गया। अब मैंने उसके पैर जितने चौड़े वो कर सकती थी उतने कर
दिए और उसके हाथ भी उठा कर सर के ऊपर ही कर दिए। उसकी बगल भी निहायत ही
साफ़ और रोम-रहित थी इस तरह अब प्रफुल्ला बहुत ही अश्लील और उत्तेजक
मुद्रा में पड़ी हुई थी, उसकी छातियाँ इतनी ज्यादा तन गई थी कि उनमें से
उसकी रक्त शिराएँ भी चमक रही थी, उसके बाएँ वक्ष पर एक गहरा काला तिल भी
था, और यह मेरा निजी अनुभव है कि वक्ष पर तिल वाली लड़कियाँ बहुत ज्यादा
उत्तेजक और कामी प्रवृति की होती हैं और उनके पति उनसे सदैव सुखी और
संतुष्ट रहते हैं।

अपनी बीवी को चेतन इस स्थिति में देख कर और उत्तेजित हो गया था, अब मैं
उठ कर पलंग के पीछे चला गया, और वहाँ से उसके दोनों उभार थाम लिए और
उन्हें पहले तो प्यार से सहलाया, फिर थोड़ा दवाब बढ़ाते हुए उसके निप्पल
जो टाईट हो चुके थे, को धीरे धीरे मसला। मेरी निगाह लगातार उसके चेहरे पर
उभरते भावों पर थी,कि मेरी किन हरकतों से उसे आनन्द आ रहा था और किससे
कष्ट या परेशानी हो रही थी, इसलिए मैं वो ही हरकतें ज्यादा कर रहा था जो
उसे उत्तेजक कर रही थी।

वक्ष को अच्छी तरह सहलाने के बाद मैं उसके बगल में आ गया और अब उसके एक
वक्ष को दोनों हाथों से कस के पकड़ कर निप्पल को मुँह में लेते हुए चूसना
शुरू कर दिया। उसकी आहें तेज़ हो गई थी, बीच बीच में मैं दूसरे स्तन को
भी सहला और दबा रहा था, और चेतन ये सब देख कर इतना ज्यादा उत्तेजित हो
गया था कि उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ में ले लिया और सहलाने लगा।
और फिर पास आकर खुद भी प्रफुल्ला के उरोज़ों को थाम लिया।

तभी मुझे एक आइडिया सूझा, मैंने चेतन को प्रफुल्ला का दूसरा चुचूक चूसने
का इशारा किया जैसे मैं चूस रहा था ऐसे ही दबा दबा कर !

और मेरे इशारा पाते ही वो भी शुरू हो गया। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी
कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

और प्रफुल्ला !

उसका तो हाल बुरा हो चुका था ! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके
दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों। वो अब बेकाबू होती
जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी।

मैंने अपने हाथों से उसकी चूत पकड़ कर उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन वो
अब मेरे कपड़े ही खींचने लगी और खोलने की कोशिश करने लगी।

अब मुझे भी लगा कि यह बेचारी कब से नंगी पड़ी है, और मैं पूरे कपड़ों में
हूँ, यह गलत है।

यही सोच कर मैं उठ खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और
पूर्ण नग्न हो गया। मेरा लण्ड भी अब वापिस खड़ा और सख्त हो गया था। अब
मैंने उसे उठने का इशारा किया, वो बैठी हो गई तो मैंने अपना लण्ड उसे
पकड़ा दिया।

मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है जब मेरा सख्त लण्ड किसी औरत की नाज़ुक नाज़ुक
हाथों द्वारा सहलाया जाता है।

मैं उत्तेजना के मारे पसर गया और वो मेरे ऊपर चढ़ बैठी और सहलाते सहलाते
उसे मुँह में ले लिया।

मेरी चीख निकल गई।

यह तो अच्छा हुआ था कि मैं एक बार लण्ड झाड़ आया था, वरना कभी का पानी छूट
जाता इसका और मज़ा भी नहीं आता।

अब वो इत्मीनान से लण्ड के मज़े ले रही थी।

कुछ देर बाद मैंने अपने आप को उससे छुड़ा लिया और उसे पकड़ कर उन्हीं चार
तकियों पर इस बार उलटा करके इस तरह लेटाया कि उसके कूल्हे तकियों पर जा
टिके और पहले से उभरे हुए चूतड़ और ज्यादा उभर गए।

मेरी उत्तेजना चरम पर थी, अब मैंने उसके उभरे चूतड़ों पर दनादन चांटे और
चपत लगानी शुरू की, वो हर चांटे पर उछल पड़ती थी और इस अंदाज़ में कि और
मारो, !

फिर मैं और मारता था।

अब चेतन भी पास आ गया और वो भी शुरू हो गया ! मेरे ये चांटे और चपत चोट
पहुँचाने के लिए नहीं थे, बहुत हल्के और उत्तेजक थे।फिर मैंने उसके कड़े
चूतड़ों के दोनों उभारों को खींच कर दो फाड़ किया और उस जगह पर अपने दोनों
हाथों के अंगूठों से बारी बारी से सहलाया।

प्रफुल्ला की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा।

वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- प्लीज़ फक मी ! प्लीज़ फक मी !

मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो? मेरी समझ में नहीं आ रहा है।

तो उसका सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह अरुण ! मुझे चोदो
यार ! चुदाई करो जल्दी ! अब रहा नहीं जा रहा ! अपने लण्ड से प्यास बुझा
मेरी चूत की जल्दी ! जल्दी !

और यहां मेरा भी हाल बुरा था, मैंने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से
लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, चेतन को प्रफुल्ला के पैर चौड़े करने को कहा और
उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और
प्रफुल्ला ने जोर से सिसकारी निकालते हुए मुझे इतने जोर से भींच लिया कि
उसके नाख़ून से मेरी पीठ पर खून तक निकल आया।

वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर मैंने अपने होंठों से उसका मुँह
बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी...

तो दोस्तो, यह घटना लिखते लिखते मैं फिर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया हूँ
कि बस ! इसके आगे नहीं लिख पाऊँगा !

आप लोगों को यहाँ तक की घटना कैसी लगी, ज़रूर ज़रूर मेल करना ! मैं जवाब
देने की कोशिश करूँगा।

arun_5951@yahoo mail .com









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