Thursday, February 7, 2013

सेक्सी कहानियाँ बहन के साथ डिस्को बार से बेडरूम तक-1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
बहन के साथ डिस्को बार से बेडरूम तक-1

दोस्तों मेरा नाम दिलीप कुमार है और मेरी बहन का नाम कविता है. हमारे घर
में कुल चार लोग रहते हैं – मैं, मेरी बहन, मम्मी और पापा. मेरे मम्मी और
पापा दोनों प्राईवेट कम्पनी में काम करते हैं. मैं कोलेज में बीए फर्स्ट
ईअर में हूँ और मेरी बहन ग्यारहवीं क्लास में आर्ट्स की स्टूडेंट है. हम
दोनों भाई बहन अक्सर अकेले घर में होते, पर हम दोनों में एक दुसरे के लिए
कोई भी बुरे विचार नहीं थे. हम दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे,
लेकिन भाई बहन की तरह. हम दोनों अच्छे दोस्त भी थे और एक दुसरे से सारी
बातें शेयर करते थे, एक दुसरे को एडल्ट जोक्स सुनाते थे, और अपने दोस्तों
के रोमांस के किस्से सुनाते थे. पर हम दोनों के बीच कुछ भी गलत नहीं था.
मेरी बहन कविता एक सुलझी हुई लड़की है और इस उम्र के हिसाब से उस पर सेक्स
का नशा चढ़ना जायज़ है. पर मैं देखता की उसने अपने आपको काफी हद तक
कण्ट्रोल कर रखा था. उसका कोई बोयफ़्रेंड नहीं था. मेरी तो कई फ्रेंड्स
थीं पर सही मायनों में कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. यानी, आप समझ गए होंगे की
मैंने अभी तक किसी को चोदा नहीं था. मेरी किसी को चोदने की इच्छा बढ़ती ही
जा रही थी. मैं रोज मुठ मरता था और सेक्स की किताबें पढता था. कविता इन
सबसे अनजान थी. मैंने दोस्तों से सेक्स का पूरा ज्ञान ले लिया था की कैसे
लड़की चोदी जाती है. शायद कविता नें भी अपनी सहेलिओं से जानकारी ली हो पर
मुझे इसका पता नहीं था.

एक दिन कविता मेरे कमरे में आयी. उस वक्त शाम के चार बजे थे और घर पर हम
दोनों अकेले थे. मेरे मम्मी पापा शाम को सात बजे घर आते थे. मेरी बहन नें
मुझसे पूछा, भैय्या एक बात पूछूं. बुरा तो नहीं मानोगे?

मैं: अरे पूछ न यार.

कविता: आप कभी किसी डिस्को में गए हो?

मैं: हाँ. मैं कई बार गया हूँ. और सुन, मैंने बीयर भी पी है. पर घर में
प्लीज़ किसी को मत बताना यार.

कविता: ना ना. नहीं बताऊँगी. पर भय्या सच कहो, डिस्को कैसा होता है? मेरा
मतलब वहाँ क्या क्या होता है?

मैं: मैं जहाँ पर जाता हूँ वहाँ पर लड़के लडकियां आते हैं. फ्लोर पर डांस
करते हैं और....
कविता: और क्या?

मैं (झिझकते हुए): और एक दुसरे से छेड़ छाड़ करते हैं.

कविता: कैसी छेड़ छाड़ भय्या? प्लीज़ खुल के बताओ ना?

मैं: वो...वो...लड़का लड़की एक दुसरे से चिपक के नाचते हैं और एक दुसरे के
अंगों को छूते हैं, चुमते हैं, किस करते हैं.

कविता: हाय राम. सबके सामने?

मैं: अरे यार वहाँ सब अपने आप में मस्त रहते हैं कोई एक दुसरे की तरफ
देखता भी नहीं. और वहाँ पर बहुत हल्की रोशनी होती है. इसलिए ये सब चलता
है. वहाँ पर सिर्फ कपल्ज़ ही जा सकते हैं.

कविता मुझे छेड़ते हुए: आप किस के साथ गए थे?

मैं: अरे यार तू तो जानती है की मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मैं तो
अपने दोस्तों के साथ गया था. दरअसल डिस्को के मालिक का बेटा मेरा दोस्त
है. इसलिए एंट्री मिल जाती है और ढेर सारा डिस्काउंट भी.

कविता: भय्या मुझे भी एक बार ले चलो ना? मैं भी देखना चाहती हूँ डिस्को
कैसा होता है.

मैं गर्दन हिलाते हुए: ना. बिलकुल नहीं. वो जगह तेरे जाने के लिए नहीं है.

कविता: पर क्यों भय्या, आप भी तो गए हो?

मैं: मेरी बात और है. मैं लड़का हूँ. पर....यार तू समझती नहीं....वहाँ
माहोल अच्छा नहीं होता. लड़के लडकियां दारु पीकर नाचते हैं....और सुन
(उसकी आँखों में झांकते हुए)...वो नाचने के अलावा और भी बहत कुछ करते
हैं.

कविता: वही तो मैं देखना चाहती हूँ भय्या. प्लीज़ सिर्फ एक बार....प्लीईईईईज़.

कविता नें मुझे बहुत रिक्वेस्ट की आर मैं नहीं माना. कविता गुस्से में उठ
कर चली गयी. कई दिन तक हमारी बातचीत नहीं हुई. मैंने कई बार अपनी बहना को
मनाने की कोशिश की पर वो अपनी जिद पर अड़ी रही की जब तक मैं उसे डिस्को
में नहीं ले जाता, तब तक वो मुझसे बात नहीं करेगी. मैं अजीब उलझन में था.
खैर इस तरह से कई दिन बीत गए. मैंने आखिर में उससे कहा कि देर रात तक हम
दोनों को बाहर जाने के लिए मम्मी पापा राजी नहीं होंगे. इस पर कविता
बोली, जब मम्मी पापा बाहर चले जायेंगे तब आप मुझे ले कर चलना. मैंने जान
छुडाने के लिए हाँ कह दी. एक महीने बाद मेरे मम्मी पापा को किसी
रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ा. हम लोग पढ़ाई की वजह से नहीं जा सकते थे,
इसलिए वे दोनों दस दिन के लिए चले गए. कविता उनके जाने के बाद बहुत खुश
हुई और मुझसे जिद करने लगी कि डिस्को में ले चलो. मैंने कहा आज नहीं कल
चलेंगे. पर वो अड़ गयी और आज ही जाने की जिद करने लगी. उस दिन शुक्रवार था
और मैं जानता था की कोलेज के लड़के लडकियां आयेंगे और ढेर सारी मस्ती
करंगे. मैंने मन मार कर हाँ कह दी. कविता शाम को सज धज कर तैयार हो गयी.
उसने लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी और ऊपर से एक टॉप पहना हुआ था जिसके आगे
जिप लगी हुई थी. उसने जिप आगे से काफी खोली हुई थी जिससे उसके बूब्स नज़र
आ रहे थे. उसके बाल खुले हुए थे. कुल मिला कर मेरी बहन बहुत सेक्सी लग
रही थी. मैंने कहा, यार ये जिप उपर तक बंद कर ले वरना मोहल्ले वाले क्या
सोचेंगे? उसने हँसते हुए जिप ऊपर गले तक बंद कर ली. मैंने जींस पेंट और
टी शर्ट पहन ली और अपनी बहन को बाईक पर बैठा कर डिस्को ले चला. कविता
बाईक पर मुझसे चिपक कर बैठ गयी और उसके दूध मेरी पीठ से टकरा रहे थे.
मेरे लंड में पहली बार सुरसुरी सी हुई. कई बार कण्ट्रोल किया पर मेरा
लौड़ा नहीं माना और बुरी तरह से खड़ा हो गया. यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि
मेरी बहन कविता का रंग साफ़ है और वो बहुत सुन्दर है. वो पतली छरहरी लड़की
है और उम्र में अभी छोटी होने की वजह से उसके बूब्स सिर्फ संतरे के साइज़
के हैं. उसकी हाईट पांच फुट एक इंच है.

हम लोग डिस्को पहुँच गए. वहाँ पर लाइन लगी हुई थी और गेट पर सबको चेक
करके अंदर जाने दिया जा रहा था. हमारी बारी आयी. मुझे देखते ही गार्ड नें
मुझे और कविता को सलाम ठोका और अंदर भेज दिया. कविता इससे काफी इम्प्रेस
हुई. हम अंदर जा कर एक कोने में बैठ गए. मैंने एक बीयर का आर्डर दिया.
कविता बोली, भय्या, मैं भी थोड़ी सी बीयर पियूंगी.

मैं: तू पागल तो नहीं हो गयी?

कविता: बस थोड़ी सी. प्लीज़ भय्या......प्लीज़....मान जाओ न.....

मैं: ओके बाबा. पर नशे में बहक मत जाना.

कविता: ओके. आप तो हो ना मेरे साथ. फिर डर किस बात का?

कविता नें गर्दन घुमा के चरों और देखा. उसके आश्चर्य की सीमा ना रही.
लडकियां तंग कपड़ों में आयी हुई थीं. कुछ ने तो छोटी स्कर्ट और टॉप पहन
रखा था जिसमें से उनके बूब्स साफ़ दिखाई दे रहे थे. कुछ नें निक्कर पहन
रखी थी और अपनी गोरी गोरी टांगें दिखा दिखा कर लड़कों को ललचा रही थीं.
लड़के उन लड़कियों को घूर घूर कर देख रहे थे. फिर डांस शुरू हो गया. वेटर
बीयर ले आया था. मैं हल्की हल्की चुस्कियां ले कर बीयर और माहोल का मज़ा
लेने लगा. कविता नें देखा की लड़का लड़की एक दुसरे से चिपक के नाच रहे थे
और एक दुसरे के अंगों को छू रहे थे. एक कपल तो लिप्स किस कर रहा था.
कविता भी बीयर पीने की जिद करने लगी.

मैं:कविता मेरी बात मान जा, बीयर तुझे चढ़ जाएगी। फिर तुझे संभालना
मुश्किल हो जाएगा।

कविता: कुछ नहीं होगा भय्या। आप चिंता मत करो।

मैं (कंधे उचकाकर): जैसी तेरी मर्जी।

मैंने एक ग्लास भर कर कविता के आगे रख दिया। कविता नें एक सिप ली। उसे
बीयर थोड़ी कड़वी लगी, पर फिर भी वो उसे पीने लगी। मैं भी चुपचाप बीयर पीने
लगा। डिस्को में तेज म्यूज़िक बज रहा था और लड़के लड़कियां डांस फ्लोर पर
नाच रहे थे। डिस्को में हल्की रोशनी थी। लड़कियां अधनंगी ड्रेस में
बेशर्मी से नाच रही थीं जिसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। कविता भी आँखें
फाड़ फाड़ के ये नज़ारा देख रही थी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने ऐसा नज़ारा
पहली बार देखा था। उसने देखा कि एक लड़का अपनी गर्ल फ्रेंड के बूब्स दबा
रहा था। दूसरा लिप्स किस कर रहा था। एक कपल दीन दुनिया से बेखबर चिपका
हुआ था और लड़के के दोनों हाथ लड़की के नितंब सहला रहे थे। ये सब देख कर हम
दोनों भाई बहन बहुत गरम हो गए। मैं अपने लंड को जींस के ऊपर से मसलने
लगा। कविता भी उत्तेजित हो रही थी। बीयर पीते हुए हम दोनों की आँखें डांस
फ्लोर पर थीं। थोड़ी देर बाद कविता उठी और बोली, भय्या मैं थोड़ी देर में
आई। ये कह के वो अपना बैग लेकर वाश रूम की तरफ चली गई। कुछ देर बाद कविता
वापस आई। ओह माइ गॉड, कविता नें अपनी लॉन्ग स्कर्ट और अपना टॉप उतार दिया

कुछ देर बाद कविता वापस आई। ओह माइ गॉड, कविता नें अपनी लॉन्ग स्कर्ट और
अपना टॉप उतार दिया था और उसने एक झीना सा शमीज़ पहना हुआ था जिसे
लड़कियां अंदर से पहनती हैं। उसने शायद अपने कपड़े बैग में रख लिए थे, और
वो शमीज़ नीचे से पहन कर आई थी। उसकी शमीज़ जांघों तक थी यानी बड़ी
मुश्किल से उसकी पैंटी ढक रही थी। उसकी शमीज़ एक झीने से कपड़े से बनी
हुई थी जिसमें से उसकी काले रंग की ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। शमीज़
स्लीवलेस थी और ऊपर से बहुत खुली हुई थी, जिसके कारण उसके बूब्स भी दिख
रहे थे। उसका गोरा बदन अंधेरे में दूध की तरह चमक रहा था। सब लड़कों की
नज़र मेरे बहन पर थी। कुछ मनचले लड़के तो आहें भर रहे थे और कुछ कामुक
अंदाज़ से उसे घूर रहे थे। मुझे जैसे काटो तो खून नहीं। कविता मुसकुराती
हुए मेरे पास आकर मेरे बगल में बैठ गई। मैंने बौखला कर पूछा, ये क्या?
अपने अपने कपड़े क्यों उतार आई?

कविता: क्यों भय्या? क्या मैं इन कपड़ों में सुंदर नहीं लगती?

मैं (झल्ला कर): अरे इन कपड़ों में तो कोई भी लड़की सुंदर लगेगी। सारे
लड़के तुझे ही घूर घूर कर देख रहे हैं।

कविता (लापरवाही से): तो घूरने दो। यहाँ बाकी लड़कियां भी तो ऐसी ही
ड्रेस में आई हैं।

मैं (उसे समझाते हुए): यार उन सबसे ज्यादा तू एक्सपोज़ कर रही है। ये ठीक नहीं है।

कविता: सब ठीक है। आप ही नें तो कहा था कि यहाँ पर कोई किसी की परवाह नहीं करता।

मैं: पर मैं तो तेरे सामने बैठा हूँ। मेरी बहन इस तरह से मेरे साथ हो तो
सोच मेरे ऊपर क्या बीतेगी?

कविता (मुसकुराते हुए): क्यों मुझे देख कर आप एक्सायीट हो रहे हो क्या?

मैं (झिझकते हुए): वो बात नहीं है।

कविता: तो फिर क्या प्रोब्लेम है?

मुझसे कुछ कहते ना बना। मैं चुप चाप बीयर पीने लगा। कविता मेरे पास से उठ
कर मेरे सामने आ के बैठ गई और बीयर पीने लगी। अब मेरी नज़र मेरे बहन पर
पड़ी। उसके गोरे गोरे दूध ब्रा में कसे हुए थे। खुले बालों में वो कोई
अप्सरा लग रही थी। मेरा लंड उसे देख कर अकड़ने लगा। मैंने बहुत कोशिश की
कि मैं अपनी बहन को बुरी नज़र से ना देखूँ पर माहोल का ऐसा असर हुआ की
मैं अपने काबू में ना रहा। मैं बार बार चोरी छुपे उसके बूब्स देखने लगा।
कविता नें अचानक मुझे उसके बूब्स देखते हुए पकड़ लिया। वो मुस्कुरा पड़ी।
मैं झेंप सा गया। मैंने वेटर को आवाज दी और एक बीयर का ऑर्डर दे दिया। हम
दोनों पर हल्का हल्का बीयर का नशा होने लगा था। कविता तो पहली बार पी रही
थी इसलिए वो मस्ती मैं झूम रही थी और डांस फ्लोर पर लड़के लड़कियों की
हरकतें देख रही थी। म्यूज़िक पर वो भी बैठे बैठे थिरक रही थी। तभी कविता
नें एक मदमस्त अंगड़ाई ली और अपने जोबन को मेरे आगे उभार दिया। मैंने
देखा की मेरे बहना की चूचियाँ ब्रा में तन गई हैं और बाहर आने को बेताब
हो रही हैं। मेरा तो उसे देख कर बुरा हाल था पर कविता मेरे इस हाल पर
मज़े ले रही थी और उसे मुझे तंग करने में मज़ा आ रहा था।

मैं: यार कविता, बस अब तू और बीयर मत पीना।

कविता: प्लीज़ भय्या, बस एक ग्लास और।

मैं: ओके। पर संभल के। तुझे चढ़ ना जाए वरना मुश्किल हो जाएगी।

कविता: चलो ना भय्या हम लोग भी डांस करते हैं।

मेरा तो अपनी बहन को छूने का बहुत मन कर रहा था पर ऊपर से बोला, नहीं यार
रहने दे। वहाँ पर देख सब लोग कैसे नाच रहे हैं।

कविता (सिसकते हुए): हाय भय्या मेरा भी बहुत मन कर रहा है...प्लीज़ चलो न
मेरे प्यारे भय्या.....

मैं: ओके चल, पर बार बार मुझे भय्या बोलना बंद कर। कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा?

कविता (उठते हुए): अच्छा बाबा नहीं बोलुंगी। अब चलो भी।

कविता मेरा हाथ पकड़ कर जबर्दस्ती मुझे डांस फ्लोर पर ले गई। हम दोनों
डांस करने लगे। मैंने अपने हाथों से उसकी नाजुक पतली कमर में हाथ डाला तो
जैसे वो सिहर सी गई। मैंने उसे अपने साथ चिपका लिया और उसके साथ डांस
करने लगा। डिस्को में बहुत उत्तेजित करने वाला म्यूज़िक चल रहा था। रात
पूरे शबाब पर थी। हम दोनों पर बीयर का नशा हावी था। मेरी अधनंगी बहन मेरे
साथ पूरी मस्ती से थिरक थिरक कर नाच रही थी। कविता के छोटे छोटे बूब्स
मेरे छाती से दबे हुए थे और मेरा लंड उसकी चूत से बार बार टकरा रहा था।
मैं अपने दोनों हाथ उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले गया और उसके नितंबों
पर रख दिये और उसके नितंब सहलाने लगा। आह क्या मज़ा आ रहा था। मैंने
कविता की रेस्पोंस देखी, वो मेरे साथ और ज़ोर से चिपक गई और झूम झूम कर
नाचने लगी। अब मैंने अपने होंठ अपनी प्यारी बहना के नाज़ुक होठों पर रख
दिये और उसके लिप्स पर किस करने लगा। कविता भी मेरा साथ देने लगी। मेरा
लंड जींस के अंदर फुंफकार रहा था। मैं अपने हिप्स हिलाते हुए अपना लंड
पेंट के ऊपर से कविता की चूत पर दबाने लगा। हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा
था। मैं अपना एक हाथ आगे ले आया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को
सहलाने लगा। मैं लगातार उसे लिप्स पर किस कर रहा था। इससे कविता के मुंह
से कामुक सिसकारियाँ निकालने लगीं। डांस फ्लोर पर यौवन बिखरा हुआ था. सब
अपनी अपनी मस्ती में नाच रहे थे और कोई एक दुसरे पर ध्यान नहीं दे रहा
था.

मैं: हाय कविता, बड़ा मन कर रहा है यार।

कविता: क्या मन कर रहा है?

मैं (उसकी चूत सहलाते हुए): तुझे चोदने का।

कविता मेरी आँखों में देखती हुई बोली: धत! आप होश में तो हो, ये क्या कह रहे हो?

मैं: हाय मेरी जान, कंट्रोल नहीं होता। क्या तेरा मन नहीं कर रहा?

कविता: हाँ भय्या, मन तो मेरा भी कर रहा है, पर......

मैं: पर क्या? किसी और से चुदेगी क्या? अपने भाई पर तरस खा यार। अपनी चूत
मुझे दे दे मेरी रानी।

कविता: क्या भय्या आप भी ना। मैं किसी और लड़के से क्यों करवाऊँगी? पर आप
तो मेरे सगे भाई हो ना। यही मुसीबत है। वरना मैं तो आपको बहुत चाहती हूँ।

मैं बदहवास होकर उसकी चूचियाँ मसलने लगा और उसके लिप्स चूमने लगा। कविता
की पैंटी गीली हो चुकी थी। बीयर का असर उस पर हावी हो चुका था। वो बुरी
तरह से गरम हो चुकी थी। माहोल का कुछ ऐसा असर हुआ कि हम दोनों भूल गए कि
हम सगे भाई बहन हैं। अब मैंने अपना एक हाथ आगे किया और उसकी पैंटी की
साइड से एक उंगली उसकी नरम नरम चूत में घुसा दी। कविता उत्तेजना में
कसमकसा उठी।
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