Sunday, January 23, 2011

Hindi sexi stori- यार बना प्रीतम - भाग (7)


यार बना प्रीतम - भाग (7)

गतान्क से आगे........
रात को खा'ने के बाद संभोग शुरू होता तो फिर तीन चार घंटे नहीं रुकता. एकाध बार हम सिक्सटी नाइन करते या और तरह तरह से अप'ने यार के लंड चूस कर वीर्य पान करते पर बा'की अधिकतर समय ज़ोर ज़ोर से गान्ड मार'ने और मरवा'ने में जाता. गांद मारना हमारे लिए एक ऐसा खेल था कि उसे ज़ोर ज़ोर से वर्ज़िश सी करते हुए कर'ने में ह'में बड़ा मज़ा आता था. उच्छल उच्छल कर हम पूरे जोरों से एक दूसरे की मारते थे.

हां कभी कभी प्यार से गोद में बिठा'कर हौले हौले चूमा चॅटी करते हुए गान्ड चोदना भी बहुत प्यारा लग'ता था. इस'में अक्सर मैं प्रीतम की गोद में होता पर एक दो बार वह भी मेरा लंड अपनी गान्ड में लेकर मेरी गोद में बैठ जाता. इस आसन में हम कोई पोथी साथ साथ पढ़ते या फिर एक ब्लू फिल्म देखते.

प्रीतम की चप्पलें चूसना मेरा ख़ास शौक बन गया था. प्रीतम भी अक्सर मेरी चप्पालों से खेल'ता या फिर मेरे पैरों को चूम चूम कर प्यार कर'ता पर मैं तो उस'की चप्पालों का दीवाना हो गया था. गांद मरवाते या उस'की गान्ड मारते हुए प्रीतम की चप्पलें हमेशा मेरे मुँह में रह'ती थी. बस जब उसे मेरे मुँह को चूम'ने की या अपना लंड चुसवा'ने की बहुत इच्च्छा होती तभी मैं उन्हें मुँह से निकालता.

दोपहर को कॉलेज से वापस आ'कर भी खाना खा'ने के बाद दो घंटे पढ़ाई होती थी. इस बारे में वह पक्का था. हां दो तीन घंटे की इस पढ़ाई में हम कुच्छ मज़ा कर लेते थे और वह भी ऐसी कि पढ़ाई भी तेज होती थी. प्रीतम ने ही इस तरह की पढ़ाई की शुरुआत की. एक दिन जब मैं टेबल कुर्सी पर बैठ कर रिपोर्ट लिख रहा था तो वह उठ कर आया और मुझे चूम कर प्यार से बोला.

अगर तू हाथ ना रोक'ने का और लिखते रह'ने का वायदा करेगा तो एक मस्त आसन दिखाता हूँ. तू बस लिख'ता जा. देख क्या फटाफट पढाइ होती है. लंड में होते चुदासी के सुख से पढ़ाई ज़्यादा तेज होती है अगर ठीक से कोन्सन्ट्रेट किया जाए. बोल है तैयार? मेरे हामी भरते ही वह टेबल के नीचे घुस गया और मेरे साम'ने आराम से बैठ'कर मेरा तना हुआ लंड हाथ में लेकर कुच्छ देर उसे मुठियाया. फिर अपना मुँह खोल कर पूरा लंड निगल लिया. उस'के बाद बस वैसे ही बैठ रहा, मेरा लंड उस'ने चूसा नहीं. अपनी आँखों से इशारा किया कि मैं लिख'ता रहूं. उस'के गरम गीले तपते मुँह का स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था. मैने पढ़ाई शुरू कर दी.

एक घंटे में मेरी इतनी पढ़ाई हुई जैसी दो घंटों में नहीं होती. बस अप'ने आप पर इतना कंट्रोल करना था कि ऊपर नीचे होकर उस'के मुँह को चोद'ने की इच्च्छा दबाता रहूं. प्रीतम बस अपनी जीभ और तालू के बीच मेरे लंड को लेकर बैठ था, कभी कभी हौले से जीभ से मेरे लंड के निचले भाग को गुदगुदा देता. इतना सुख मेरी नसों मे दौड़ जाता था कि सहन नहीं होता था. घंटे भर बाद रिपोर्ट ख़तम होने पर आख़िर जब मुझसे ना रहा गया तो मैने पेन नीचे रख'कर प्रीतम का सिर अप'ने पेट पर दबाया और कुर्सी में बैठ बैठ उस'के मुँह को चोद'ता हुआ झड गया.

बाद में उसे चूमते हुए मैने कहा कि मैं भी उसे वैसा ही सुख देना चाह'ता हूँ. उस'के लिए लंड पूरा मुँह में लेना सीखना बहुत ज़रूरी था. प्रीतम बोला,

इस'में क्या बड़ी बात है, आज ही तुझे सिखा दूँगा उसी रात उस'ने मुझे लंड मुँह में पूरा लेना सिखा दिया. खड़ा लंड मुँह में लेने में कठिनायी होती थी इस'लिए उस'ने मेरी गान्ड मार'ने के बाद अपना मुरझाया लंड मेरे मुँह में दिया और पलंग पर लेट गया. तीन चार इंच की वह लुल्ली मैं आराम से पूरी मुँह में लेकर चूस'ता रहा. दस मिनिट बाद जब उसका खड़ा होना शुरू हुआ तो उस'ने मुझे आगाह किया.

अब घबराना नहीं सुकुमार राजा. गले में जाएगा तो गला ढीला छोडना. देख कैसा हलक तक उतार जाएगा. शुरू में जब उसका लंड धीरे धीरे खड़ा हुआ तो मुझे बहुत मज़ा आया. अधप'के उस लंड को मैं ऐसे चूस रहा था जैसे आइसक्रीम हो. पर जब उसका मोटा सुपाड़ा आख़िर मेरे गले में उतर'ने लगा तो मेरा दम घुट'ने लगा. साँस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी. जब मैं लंड निकाल'ने की कोशिश कर'ने लगा तो मेरा यार मुझे पटक'कर मेरे ऊपर अपना वजन देकर लेट गया.

ऐसे थोड़े निकाल'ने दूँगा मेरी जान, आज तो पूरा लेना ही पड़ेगा. कह'कर उस'ने मेरा सिर कस के पेट पर दबा लिया. जब मैं हाथों से उस'की कमर पकड़'कर उसे हटा'ने की कोशिश कर'ने लगा तो उस'ने मेरे हाथ पकड़ लिए, अब उस'के वज़नदार शरीर को हटाना मेरे लिए असंभव था. मेरी साँस अब रुक गयी थी और लग'ता था कि बेहोश हो जाऊँगा. प्रीतम प्यार से बोला,

साले, मेरी बात मान'ता क्यों नहीं? गला ढीला छोड और हाथ पैर फेकना बंद क दे, तुझे कुच्छ नहीं होगा आख़िर मैने हार मान ली और चुपचाप गला ढीला छोड'ने की कोशिश कर'ने लगा. दो मिनिट में मेरा गला एकदम ढीला पड़ गया और दम घुटना भी बंद हो गया. प्रीतम का लॉडा अब जड़ तक मेरे मुँह में उतार चुका था और मेरी नाक और होंठ उस'की झांतों में समा गये थे. अब सहसा मैने महसूस किया कि दम भी नहीं घुट रहा है और उस मोटे ताजी ककडी को चूस'ने में भी मज़ा आ रहा है. मेरे शरीर के ढीले पड़ते ही प्रीतम ने मेरे हाथ छोड दिए. प्यार से मैने अप'ने हाथ उस'के चूतडो के इर्द गिर्द जकड लिए और गान्ड में उंगली करते हुए चूस'ने लगा.

सीख गया मेरा यार, चल अब इनाम ले ले अपना, चूस डाल. और लगे हाथ गला चुदवा भी ले. देख कैसे मुँह चोदा जाता है और मेरे सिर को पेट से सटा'कर वह घचाघाच मेरे मुँह में लंड पेल'ने लगा. बिलकुल ऐसे वह लंड पेल रहा था जैसे गान्ड मार रहा हो, उसका आधा लंड मेरे मुँह से अंदर बाहर हो रहा था. गले में जब सुपाड़ा घुस'ता और निकल'ता तो मेरा दम थोड़ा घुट'ता पर बहुत मज़ा भी आता था. मेरे मुँह को उस'ने पाँच मिनिट में किसी चूत की तरह चोद डाला. जब मैं उसका पूरा वीर्य पी गया तभी उस'ने मुझे छोडा.

इस'के बाद बारी बारी से हम पढाई के समय एक दूसरे का लंड चूसाते. उस'के साम'ने बैठ कर अपना चेहरा उस'की घनी झांतों में छुपा कर उसका लंड पूरा निगल कर वह सुख मिल'ता कि कहा नहीं जा सकता. हाँ, मुझे चुपचाप लंड मुँह में लेकर बैठ'ने की प्रैक्टिस करना पड़ी क्योंकि शुरू के दो तीन दिन मैं उसका लंड चूस'ने को ऐसा तरस जाता कि चूस कर उसे पढाइ पूरी होने के पहले ही सिर्फ़ आधे घंटे में ही झड देता.

यार का शरबत

एक दूसरे के बदन के लिए हमारी हवस का एक और चरण पूरा हुआ जब एक दूसरे के मूत्र को सिर्फ़ शरीर पर या चेहरे पर लेने के बजाय हम'ने उसे पीना शुरू कर दिया. पहल मैने ही की. अब तक बहुत किताबों में और फिल्मों में मैं देख चुका था की कैसे प्रेमी युगल आप'ने साथी का मूत्र बड़ी आसानी से पी जाते हैं. मैं भी यह करना चाह'ता था पर थोड डर'ता था.

आख़िर एक दिन जब टेबल के नीचे बैठ'कर मेरी बारी उसका लंड चूस'ने की थी तो मैं तैश में आ गया. उस दिन मैने लगातार ढाई घंटे की पढाई उससे कराई थी, बिना उसे झडाये. बाद में वह ऐसा झाड़ा की चार पाँच चम्मच भर कर अपनी मलाई मेरे मुँह में उगली. फिर तृप्ति की साँस लेता हुआ वह मेरे मुँह से लंड निकाल कर कुर्सी से उठ'ने की कोशिश कर'ने लगा. मैने उसे नहीं छोडा बल्कि कस कर पकड़ लिया और झाड़ा हुआ लॉडा चूस'ता ही रहा.

छ्होड दे यार, क्या कर रहा है? मुझे पिशाब लगी है ज़ोर की. छ्होड नहीं तो तेरे मुँह में ही कर दूँगा. उस'ने झल्ला कर कहा. उस'की बात को अनसुनी कर'के मैं चूस'ता ही रहा. आँखें उठा कर उस'की आँखों में झाँका और उसे आँख मार दी. वह समझ गया. . वासना से उस'की आँखें लाल हो गयीं. कुर्सी पर बैठ कर मेरे बाल बिखेर'ता हुआ वह बोला.

तो यह मूड है तेरा? देख, एक बार शुरू करूँगा तो रुकूंगा नहीं, पूऱ पीना पड़ेगा. और नीचे नहीं गिराना साले नहीं तो बहुत मारूँगा. उसे शायद डर था कि मैं बिचक ना जाऊं इस'लिए उस'ने मेरा सिर अप'ने पेट पर कस कर दबाया और मूत'ने लगा. उसका लंड मेरे गले तक उतरा हुआ था ही, सीधे गरमागरम मूत की तेज मोटी धार मेरे गले में उतर'ने लगी. मैं निहाल हो गया. मेरा लंड ऐसा खड़ा हुआ कि पूच्छो मत. घटागट उस खारे शरबत को मैं पीने लगा. इत'ने चाव से मैं पी रहा था कि उस'ने भी देखा कि ज़बरदस्ती की ज़रूरत नहीं है और अपना हाथ हटा'कर मेरे गाल पुचकार'ता हुआ आराम से मूत'ने लगा.

उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी, दो गिलास तो ज़रूर मूता होगा. मूतना ख़तम होते होते वह भी तैश में आ गया. उसका लंड फिर खड़ा हो गया था और उस'ने लगे हाथ बैठे बैठे मेरा मुँह चोद डाला. दूसरी बार उसका वीर्य पीकर मैं उठा और उसे कुर्सी से उठा'कर वहीं ज़मीन पर पटक'कर उस'की गान्ड मार ली. वह दो बार झड कर लस्त हो गया था इस'लिए चुपचाप ज़मीन पर पड़ा पड़ा मरवाता रहा. उस'के गुदाज मासल शरीर को भोगना मुझे तब ऐसा लग रहा था जैसे किसी औरत को भोग रहा हूँ. वह भी आज किसी औरत की तरह बिलकुल शांत पड़ा पड़ा मरवा रहा था.

उसका भी मेरे शरीर की ओर कितना आकर्षण था यह उस'ने तुरंत दिखा दिया. उसी रात सिक्सटीनाइन कर'ने के बाद उस'ने तो मेरे मुँहे में मूता ही, साथ साथ मुझसे भी मुतवा लिया. एक दूसरे से लिपटे हुए बिस्तर पर पड़े पड़े ही हम एक दूसरे के मुँह में मूतते रहे. वा मेरा मूत इत'ने चाव से पी रहा था कि ख़तम होने पर भी छोड'ने को तैयार नहीं हुआ. इस'के बाद सिक्सटी नाइन के तुरंत बाद अप'ने साथी के मुँह में मूतना हमारा एक प्रिय कार्यक्रम बन गया. प्रीतम को मेरे बाल बहुत अच्छे लगते थे. उन'में वा अक्सर उंगलियाँ चलाता. कहता,

क्या ज़ूलफे हैं मेरी जान तेरी, और लंबी कर ले, मा कसम, बहुत प्यारी लगेंगी. मेरे बाल पहले ही काफ़ी लंबे थे. प्रीतम के कह'ने पर मैने बाल कटाना बंद कर दिया. उसका कहना था कि मेरी लड़कियों जैसी सूरत उससे और प्यारी लग'ती है. शायद वह बाद में मुझे लड़'की के रूप में देखना चाह'ता था.
 
चप्पल भोग

हमारे संभोग का अगला मादक मोड़, ख़ास कर मेरे लिए एक बड कामुक क्षण, करीब एक माह बाद एक रविवार को आया. अब तक हम रोज के क्रिया कलाप में ढल चुके थे. मैं बहुत खुश था. समझ में नहीं आता था कि प्रीतम के बिना कैसे इत'ने दिन रहा. मेरे बाल लंबे हो गये थे और प्रीतम अब प्यार से मुझे रानी कह'कर बुला'ने लगा था.

उस'की चप्पालों के प्रति मेरी आसक्ति भी चरम सीमा तक पहुँच गयी थी. जब मौका मिलता, उन्हें मैं चूम'ने और चाट'ने में लग जाता, ख़ास कर जब वे प्रीतम के पैरों में होतीं. प्रीतम अब दिन रात चप्पल पहनता. मेरे ज़िद कर'ने के कारण रात को भी पहन कर सोता था.

दो हफ्ते पहले प्रीतम ने अचानक अपनी चप्पल बदल ली थी. मुझे तो उसका कण कण पहचान का हो गया था. सहसा एक दिन उस'के पैर में उस क्रीम कलर की चप्पल के बजाय एक हल्के नीले सफेद रंग की चप्पल थी. थी यह भी रब्बर की हवाई चप्पल पर बड़ी ही नाज़ुक थी. इतनी पुरानी थी कि घिस घिस कर उस'के सोल ज़रा से रह गये थे. पट्टे भी घिस कर पतले हो गये थे और टूट'ने को आ गये थे. मुलायम तो इतनी थी जैसे रेशम की बनी हो. मुझे वह बड़ी पसंद आई. मैने पूचछा भी कि कहाँ से लाया तो कुच्छ नहीं बोला.

तुझे पसंद आई ना रानी, बस मज़ा कर. जहाँ से लाया हूँ वहाँ और भी हैं. रविवार को हम बाथ रूम में ही बहुत देर रहते और चुदाई करते. उस रविवार को हमेशा की तरह पहले मैं उस'के मुँह में मूता और उसे पेट भर'कर अपना मूत पिलाया. उस'ने मेरे मुँह में मूत'ने से इनकार कर दिया. बोला कि उसे पेशाब नहीं लगी. वह सिर्फ़ बहाना था यह मैं जान'ता था.

उस दिन उस'के दिमाग़ में ज़रूर कोई नयी शैतानी थी. वह साथ में रेशम की मुलायम रस्सी के दो टुकडे और रब्बर का एक बड चार पाँच इंच चौड छह सात इंच व्यास का बैंड लाया था. शायद किसी टायर ट्यूब में से काट हो. मेरे पूच्छ'ने पर, कि यह क्या है, कुच्छ ना बोला और हंस दिया.

मैने रोज की तरह प्रीतम की उन भीगी पतली चप्पालों के पंजे अप'ने मुँह में लिए और चूस'ने लगा. फिर वह मुझे दीवार से टिका कर मेरी गान्ड मार'ने लगा. ऊपर से गिरते शवर के ठंडे पानी के नीचे बहुत देर उस'ने मेरी गान्ड चोदी. झड'ने के बाद उस'की गान्ड मार'ने की बारी मेरी थी पर वह मुझ पर चढ़ा रहा और अपना झाड़ा लंड मेरे गुदा में ही रह'ने दिया. मुझे नीचे लिटा कर वह मेरे ऊपर सो गया. मेरा लंड टटोल कर बोला.

मस्त खड़ा है यार, अब और खड करूँ? मैने चप्पल मुँह में लिए हुए ही अस्पष्ट स्वर में कहा कि इससे ज़्यादा खड़ा वह क्या करेगा? उस'ने एक चप्पल मेरे मुँह से निकाल'कर नीचे रख दी और मुझे बची हुई चप्पल पूरी मुँह के अंदर लेने को कहा.

देख'ता जा कैसे तेरा और खड़ा कर'ता हूँ. पर पहले आज पूरी चप्पल मुँह में ले ले यार. यह पतली वाली है. तू ले लेगा. मैं कब से तेरे मुँह में अपनी पूरी चप्पल ठूँसी देखना चाह'ता हूँ. मेरी पुरानी वाली ज़रा मोटी थी, उसे तू नहीं ले पाता इसीलिए तो ये वाली मंगाई है मुझे भी यही चाहिए था. उस'की सहाय'ता से आधी से ज़्यादा चप्पल मैने आप'ने मुँह में आराम से ठूंस ली. बीच में वह बोला.
क्रमशः................




YAAR BANA PRITAM - BHAAG (7)

gataank se aage........
Raat ko kha'ne ke baad sambhog shuroo hota to fir teen chaar ghante naheen rukataa. Ekaadh baar ham siksaTee naain karate ya aur tarah tarah se ap'ne yaar ke lunD choos kar veery paan karate par ba'kee adhikatar samay jor jor se gaanD maar'ne aur marawa'ne men jaataa. GaanD maarana hamaare liye ek aisa khel tha ki use jor jor se warjish see karate hue kar'ne men h'men baDa maja aata thaa. Uchhal uchhal kar ham poore joron se ek doosare kee maarate the.

Haan kabhee kabhee pyaar se god men biTha'kar haule haule choonaachaaTee karate hue gaanD chodana bhee bahut pyaara lag'ta thaa. is'men aksar main Pritam kee god men hota par ek do baar wah bhee mera lunD apanee gaanD men lekar meree god men baiTh jaataa. is aasan men ham koee pothee saath saath paDhaate ya fir ek bloo film dekhate.

Pritam kee chappalen choosana mera khaas shauk ban gaya thaa. Pritam bhee aksar meree chappalon se khel'ta ya fir mere pairon ko choom choom kar pyaar kar'ta par main to us'kee chappalon ka deewaana ho gaya thaa. GaanD marawaate ya us'kee gaanD maarate hue Pritam kee chappalen hamesha mere munh men rah'tee thee. Bas jab use mere munh ko choom'ne kee ya apana lunD chusawa'ne kee bahut ichchha hotee tabhee main unhen munh se nikaalataa.

Dopahar ko college se waapas a'kar bhee khaana kha'ne ke baad do ghante paDhaaayee hotee thee. is baare men wah pakka thaa. Haan do teen ghante kee is paDhaaayee men ham kuchh maja kar lete the aur wah bhee aisee ki paDhaaayee bhee tej hotee thee. Pritam ne hee is tarah kee paDhaaayee kee shuruaat kee. Ek din jab main Tebal kursee par baiTh kar riporT likh raha tha to wah uTh kar aaya aur mujhe choom kar pyaar se bolaa.

Agar too haath na rok'ne ka aur likhate rah'ne ka waayada karega to ek mast aasan dikhaata hoon. Too bas likh'ta jaa. Dekh kya faTaafaT paDhaaayee hotee hai. LunD men hote chudaasee ke sukh se paDhaaayee jyaada tej hotee hai agar Theek se konsanTreT kiya jaaye. Bol hai taiyaar? Mere haamee bharate hee wah Tebal ke neeche ghus gaya aur mere saam'ne aaraam se baiTh'kar mera tana hua lunD haath men lekar kuchh der use muThiyaayaa. Fir apana munh khol kar poora lunD nigal liyaa. Us'ke baad bas waise hee baiTha rahaa, mera lunD us'ne choosa naheen. Apanee aankhon se ishaara kiya ki main likh'ta rahoon. Us'ke garam geele tapate munh ka sparsh mujhe madahosh kar raha thaa. Maine paDhaaayee shuroo kar dee.

Ek ghante men meree itanee paDhaaayee huee jaisee do ghanton men naheen hotee. Bas ap'ne aap par itana kantrol karana tha ki oopar neeche hokar us'ke munh ko chod'ne kee ichchha dabaata rahoon. Pritam bas apanee jeebh aur taaloo ke beech mere lunD ko lekar baiTha thaa, kabhee kabhee haule se jeebh se mere lunD ke nichale bhaag ko gudaguda detaa. itana sukh meree nason me dauD jaata tha ki sahan naheen hota thaa. Ghante bhar baad riporT khatam hone par aakhir jab mujhase na raha gaya to maine pen neeche rakh'kar Pritam ka sir ap'ne peT par dabaaya aur kursee men baiTha baiTha us'ke munh ko chod'ta hua jhaD gayaa.

Baad men use choonate hue maine kaha ki main bhee use waisa hee sukh dena chaah'ta hoon. Us'ke liye lunD poora munh men lena seekhana bahut jarooree thaa. Pritam bola,

is'men kya baDee baat hai, aaj hee tujhe sikha doongaa Usee raat us'ne mujhe lunD munh men poora lena sikha diyaa. KhaDa lunD munh men lene men kaThinaayee hotee thee is'liye us'ne meree gaanD maar'ne ke baad apana murajhaaya lunD mere munh men diya aur palang par leT gayaa. Teen chaar inch kee wah lullee main aaraam se pooree munh men lekar choos'ta rahaa. Das minute baad jab usaka khaDa hona shuroo hua to us'ne mujhe aagaah kiyaa.

Ab ghabaraana naheen Sukumar raajaa. Gale men jaayega to gala Dheela chhoDanaa. Dekh kaisa halak tak utar jaayegaa. Shuroo men jab usaka lunD dheere dheere khaDa hua to mujhe bahut maja aayaa. Adhap'ke us lunD ko main aise choos raha tha jaise aaisacream ho. Par jab usaka moTa supaaDa aakhir mere gale men utar'ne laga to mera dam ghuT'ne lagaa. Saans lene men bhee takaleef hone lagee. Jab main lunD nikaal'ne kee koshish kar'ne laga to mera yaar mujhe paTak'kar mere oopar apana wajan dekar leT gayaa.

Aise thoDe nikaal'ne doonga meree jaan, aaj to poora lena hee paDegaa. Kah'kar us'ne mera sir kas ke peT par daba liyaa. Jab main haathon se us'kee kamar pakaD'kar use haTa'ne kee koshish kar'ne laga to us'ne mere haath pakaD liye, ab us'ke wajanadaar shareer ko haTaana mere liye asambhav thaa. Meree saans ab ruk gayee thee aur lag'ta tha ki behosh ho jaaoongaa. Pritam pyaar se bola,

Saale, meree baat maan'ta kyon naheen? Gala Dheela chhoD aur haath pair fekana band k de, tujhe kuchh naheen hogaa Aakhir maine haar maan lee aur chupachaap gala Dheela chhoD'ne kee koshish kar'ne lagaa. Do minute men mera gala ekadam Dheela paD gaya aur dam ghutana bhee band ho gayaa. Pritam ka lauDa ab jaD tak mere munh men utar chuka tha aur meree naak aur honth us'kee jhaanton men sama gaye the. Ab sahasa maine mahasoos kiya ki dam bhee naheen ghuT raha hai aur us moTe taajee kakaDee ko choos'ne men bhee maja aa raha hai. Mere shareer ke Dheele paDate hee hamant ne mere haath chhoD diye. Pyaar se maine ap'ne haath us'ke chootaDon ke ird gird jakaD liye aur gaanD men ungalee karate hue choos'ne lagaa.

Seekh gaya mera yaar, chal ab inaam le le apanaa, choos Daal. Aur lage haath gala chudawa bhee le. Dekh kaise munh choda jaata hai Aur mere sir ko peT se saTa'kar wah ghachaaghach mere munh men lunD pel'ne lagaa. Bilakul aise wah lunD pel raha tha jaise gaanD maar raha ho, usaka aadha lunD mere munh se andar baahar ho raha thaa. Gale men jab supaaDa ghus'ta aur nikal'ta to mera dam thoDa ghuT'ta par bahut maja bhee aata thaa. Mere munh ko us'ne paanch minute men kisee choot kee tarah chod Daalaa. Jab main usaka poora weery pee gaya tabhee us'ne mujhe chhoDaa.

is'ke baad baaree baaree se ham paDhaaayee ke samay ek doosare ka lunD choosate. Us'ke saam'ne baiTh kar apana chehara us'kee ghanee jhaanton men chhupa kar usaka lunD poora nigal kar wah sukh mil'ta ki kaha naheen ja sakataa. Haam, mujhe chupachaap lunD munh men lekar baiTh'ne kee praikTis karana paDee kyonki shuroo ke do teen din main usaka lunD choos'ne ko aisa taras jaata ki choos kar use paDhaaayee pooree hone ke pahale hee sirf aadhe ghante men hee jhaDa detaa.

Yaar ka sharabat

Ek doosare ke badan ke liye hamaaree hawas ka ek aur charaN poora hua jab ek doosare ke mootr ko sirf shareer par ya chehare par lene ke bajaay ham'ne use peena shuroo kar diyaa. Pahal maine hee kee. Ab tak bahut kitaabon men aur filmon men main dekh chuka tha ki kaise premee yugal ap'ne saathee ka mootr baDee aasaanee se pee jaate hain. Main bhee yah karana chaah'ta tha par thoDa Dar'ta thaa.

Aakhir ek din jab Tebal ke neeche baiTh'kar meree baaree usaka lunD choos'ne kee thee to main taish men aa gayaa. Us din maine lagaatar Dhaayee ghante kee paDhaaayee usase karaayee thee, bina use jhaDaaye. Baad men wah aisa jhaDa ki chaar paanch chmaach bhar kar apanee malaayee mere munh men ugalee. Fir tRupti kee saans leta hua wah mere munh se lunD nikaal kar kursee se uTh'ne kee koshish kar'ne lagaa. Maine use naheen chhoDa balki kas kar pakaD liya aur jhaDa hua lauDa choos'ta hee rahaa.

ChhoD de yaar, kya kar raha hai? Mujhe pishaab lagee hai jor kee. ChhoD naheen to tere munh men hee kar doongaa. Us'ne jhalla kar kahaa. Us'kee baat ko anasunee kar'ke main choos'ta hee rahaa. Aankhen uTha kar us'kee aankhon men jhaanka aur use aankh maar dee. Wah samajh gayaa. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Waasana se us'kee aankhen laal ho gayeen. Kursee par baiTh kar mere baal bikher'ta hua wah bolaa.

To yah mooD hai teraa? Dekh, ek baar shuroo karoonga to rukoonga naheen, pooRa peena paDegaa. Aur neeche naheen giraana saale naheen to bahut maaroongaa. Use shaayad Dar tha ki main bichak na jaaoon is'liye us'ne mera sir ap'ne peT par kas kar dabaaya aur moot'ne lagaa. Usaka lunD mere gale tak utara hua tha hee, seedhe garamaagaram moot kee tej moTee dhaar mere gale men utar'ne lagee. Main nihaal ho gayaa. Mera lunD aisa khaDa hua ki poochho mat. GaTaagaT us khaare sharabat ko main peene lagaa. it'ne chaav se main pee raha tha ki us'ne bhee dekha ki jabaradastee kee jaroorat naheen hai aur apana haath haTa'kar mere gaal puchakaar'ta hua aaraam se moot'ne lagaa.

Use jor kee peshaab lagee thee, do gilaas to jaroor moota hogaa. Mootana khatam hote hote wah bhee taish men aa gayaa. Usaka lunD fir khaDa ho gaya tha aur us'ne lage haath baiThe baiThe mera munh chod Dalaa. Doosaree baar usaka veery peekar main uTha aur use kursee se uTha'kar waheen jameen par paTak'kar us'kee gaanD maar lee. Wah do baar jhaD kar last ho gaya tha is'liye chupachaap jameen par paDa paDa marawaata rahaa. Us'ke gudaaj maasal shareer ko bhogana mujhe tab aisa lag raha tha jaise kisee aurat ko bhog raha hoon. Wah bhee aaj kisee aurat kee tarah bilakul shaamt paDa paDa marawa raha thaa.

Usaka bhee mere shareer kee or kitana aakarShaN tha yah us'ne turant dikha diyaa. Usee raat siksaTeenaain kar'ne ke baad us'ne to mere munhe men moota hee, saath saath mujhase bhee mutawa liyaa. Ek doosare se lipaTe hue bistar par paDe paDe hee ham ek doosare ke munh men mootate rahe. Wah mera moot it'ne chaav se pee raha tha ki khatam hone par bhee chhoD'ne ko taiyaar naheen huaa. is'ke baad siksaTee naain ke turant baad ap'ne saathee ke munh men mootana hamaara ek priy kaaryakram ban gayaa. Pritam ko mere baal bahut achchhe lagate the. Un'men wah aksar ungaliyaan chalaataa. Kahata,

Kya zulfen hain meree jaan teree, aur lambee kar le, maa kasam, bahut pyaaree lagengee. Mere baal pahale hee kaafee lambe the. Pritam ke kah'ne par maine baal kaTaana band kar diyaa. Usaka kahana tha ki meree laDakiyon jaisee soorat usase aur pyaaree lag'tee hai. Shaayad wah baad men mujhe laD'kee ke roop men dekhana chaah'ta thaa.



Chappal bhog

Hamaare sambhog ka agala maadak moD, khaas kar mere liye ek baDa kaamuk xaN, kareeb ek maah baad ek ravivaar ko aayaa. Ab tak ham roj ke kriya kalaap men Dhal chuke the. Main bahut khush thaa. Samajh men naheen aata tha ki Pritam ke bina kaise it'ne din rahaa. Mere baal lambe ho gaye the aur Pritam ab pyaar se mujhe raanee kah'kar bula'ne laga thaa.

Us'kee chappalon ke prati meree aasakti bhee charam seema tak pahunch gayee thee. Jab mauka milataa, unhen main choom'ne aur chaaT'ne men lag jaataa, khaas kar jab we Pritam ke pairon men hoteen. Pritam ab din raat chappal pahanataa. Mere jid kar'ne ke kaaraN raat ko bhee pahan kar sota thaa.

Do hafte pahale Pritam ne achaanak apanee chappal badal lee thee. Mujhe to usaka kaN kaN pahachaan ka ho gaya thaa. Sahasa ek din us'ke pair men us cream kalar kee chappal ke bajaay ek halke neele safed rang kee chappal thee. Thee yah bhee rubber kee hawaayee chappal par baDee hee naajuk thee. itanee puraanee thee ki ghis ghis kar us'ke sol jara se rah gaye the. PaTTe bhee ghis kar patale ho gaye the aur TooT'ne ko aa gaye the. Mulaayam to itanee thee jaise resham kee banee ho. Mujhe wah baDee pasand aayee. Maine poochha bhee ki kahaan se laaya to kuchh naheen bolaa.

Tujhe pasand aayee na raanee, bas maja kar. Jahaan se laaya hoon wahaan aur bhee hain. Ravivaar ko ham bath room men hee bahut der rahate aur chudaayee karate. Us ravivaar ko hamesha kee tarah pahale main us'ke munh men moota aur use peT bhar'kar apana moot pilaayaa. Us'ne mere munh men moot'ne se inkaar kar diyaa. Bola ki use peshaab naheen lagee. Wah sirf bahaana tha yah main jaan'ta thaa.

Us din us'ke dimaag men jaroor koee nayee shaitaanayee thee. Wah saath men resham kee mulaayam rassee ke do TukaDe aur rubber ka ek baDa chaar paanch inch chauDa chhah saat inch wyaas ka baind laaya thaa. Shaayad kisee Taayar Tyoob men se kaaTa ho. Mere poochh'ne par, ki yah kya hai, kuchh na bola aur hans diyaa.

Maine roj kee tarah Pritam kee un bheegee patalee chappalon ke panje ap'ne munh men liye aur choos'ne lagaa. Fir wah mujhe deewaar se Tika kar meree gaanD maar'ne lagaa. Oopar se girate shower ke Thande paanee ke neeche bahut der us'ne meree gaanD chodee. JhaD'ne ke baad us'kee gaanD maar'ne kee baaree meree thee par wah mujh par chaDhaa raha aur apana jhaDa lunD mere guda men hee rah'ne diyaa. Mujhe neeche liTa kar wah mere oopar so gayaa. Mera lunD TaTol kar bolaa.

Mast khaDa hai yaar, ab aur khaDa karoom? Maine chappal munh men liye hue hee aspaShT swar men kaha ki isase jyaada khaDa wah kya karegaa? Us'ne ek chappal mere munh se nikaal'kar neeche rakh dee aur mujhe bachee huee chappal pooree munh ke andar lene ko kahaa.

Dekh'ta ja kaise tera aur khaDa kar'ta hoon. Par pahale aaj pooree chappal munh men le le yaar. Yah patalee waalee hai. Too le legaa. Main kab se tere munh men apanee pooree chappal Thunsee dekhana chaah'ta hoon. Meree puraanee waalee jara moTee thee, use too naheen le paata iseeliye to ye waalee mangaayee hai Mujhe bhee yahee chaahiye thaa. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Us'kee sahaay'ta se aadhee se jyaada chappal maine ap'ne munh men aaraam se Thoons lee. Beech men wah bolaa.
kramashah................








आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj


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