Sunday, January 23, 2011

Hindi sexi stori- यार बना प्रीतम - भाग (10)



यार बना प्रीतम - भाग (10)

गतान्क से आगे........
हां प्रीतम राजा, मैं सच कह रहा हूँ. प्लीज़, मिटा दे मेरी भूख. तेरी गान्ड के हालूए के आगे दुनिया की कोई भी मिठायी फीकी है उसे भी अब जल्दी हो रही थी, लंड ऐसा खड़ा था कि जैसे फट जाएगा. मेरे शरीर के दोनों ओर पैर जमा कर वह नीचे बैठ और खिसक'कर निशाना जमा'ने लगा. उस'के मासल भारी भरकम चूतड अब मेरे चेहरे के ठीक ऊपर थे.

मैने अप'ने हाथों से उस'के नितंब चौड़े किए और पास से गुदा के अंदर देखा. मज़ा आ गया. अंदर ठोस टट्टी दिख रही थी. गुदा को चूम'कर मैने उस'में अपनी जीभ डाली उस हालूए का स्वाद लेने को. मेरी जीभ का छ्होर उस ठोस माल में गया और उस कसाले खटमिट्ठे स्वाद से और इस घिनौने काम की कामुक भावना से मेरा लंड लोहे के डंडे जैसा तंन गया.

राजा, मेरे स्वामी, एक एक नीवाला खिलाना, जल्दी नहीं करना, मैं स्वाद ले लेकर खाऊंगी अप'ने प्राणनाथ की टट्टी. कहते हुए मैं मुँह फाड़ कर इंतजार कर'ने लगा. प्रीतम उत्तेजना में मेरे खुले मुँह पर अपना गुदा जमा कर बैठ गया और शुरू हो गया.

ले माधुरी रानी, मज़ा कर, खा मेरी टट्टी. उस'की गान्ड का छेद खुला और एक मोटी ठोस लेंडी मेरे मुँह में उतर'ने लगी. मेरे यार की वह गरम गरम ठोस टट्टी मेरे मुँह में गयी तो मैं झड'ने को आ गया. पूरी बड़ी लेंडी मेरे मुँह में जा'ने के बाद मैने आँखों से उसे इशारा किया और प्रीतम ने गुदा सिकोड कर लेंडी मेरे मुँह में गिरा दी.

मैं मुँह बंद कर के उसे चबा कर खूब स्वाद ले लेकर खा'ने लगा. कड़वे से और कसाले स्वाद के बावजूद मेरी उस कामुक हालत में मुझे वह किसी पकवान से कम नहीं लग रही थी. जब मैने टट्टी निगल ली तो प्रीतम मेरा लंड पकड़'कर बोला.

कैसी लगी रानी, ज़रा ब'ता तो! मज़ा आया? रोज खा सकेगी? मैं होंठ चाटते हुए बोला.

मेरे राजा, अब बाथ रूम में तुम सिर्फ़ नहा'ने को आना. बा'की सब काम मेरे मुँह में ही करना. बहुत अच्च्छा लग रहा है यार, पर अभी बंद मत करो, मैं पेट भर कर खाना चाह'ती हूँ

फ़िक्र मत कर मेरी रानी, अब तो रोज तुझे पेट भर'कर खिलाऊँगा. कह'कर प्रीतम'ने ज़ोर लगा'कर अगला नीवाला अपनी गान्ड से निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया. उस'की साँसें ज़ोर से चल रही थी, अप'ने लंड को पकड़ कर वह कस कर मुठिया रहा था. मैने हाथ बढ़ा'कर उसका हाथ थाम कर उसका हस्तमैथुन बंद किया नहीं तो साला वैसे ही झड जाता.

प्रीतम की गान्ड खाली कर'ने में दस मिनिट लग गये. बीच में एक दो बार प्रीतम अपना पूरा वजन देते हुए मेरे मुँह पर ही बैठ गया. गांद हिला हिला कर वह मेरे मुँह पर अपना गुदा रगड़ रहा था.

खा रानी, ये ले , और टट्टी खा मेरी जानेमन. मेरी रानी के लिए मेरी टट्टी हाजिर है, तुझसे मैं इतना प्यार कर'ता हूँ कि आज के बाद तेरा पेट दिन में दो बार भर दूँगा इस हालूए से वह सिसक सिसक कर हाँफटे हुए कह रहा था.

जब उस'की गान्ड खाली हो गयी तो उस'ने एक गहरी साँस ली. मैने उसका गुदा चाट चाट कर सॉफ किया और अपनी जीभ गहराई तक उस'की गान्ड में डाल कर कण कण ढूँढ कर खा लिया.

प्यास लगी है राजा, अब मूत भी पीला दे तो मेरा खाना पूरा हो जाए. मैने कहा. प्रीतम उठा और झट से उस'ने मुझे दबोच कर मेरा मुँह खोला और अपना बुरी तरह से सूजा हुआ लंड मेरे मुँह में घुसेड दिया. पूरा लॉडा मेरे गले तक उतार'ने के बाद उस'ने मेरा सिर पकड़'कर अप'ने पेट पर दबाया और ज़मीन पर लेट कर मेरे मुँह को घचाघाच चोद'ने लगा.

मैं दम घुट'ने से गोंगिया'ने लगा. गले के अंदर वह मोटा लॉडा घुस'ने से तकलीफ़ हो रही थी पर मज़ा भी आ रहा था. प्रीतम ने परवाह नहीं की और मेरा मुँह चोद'ता रहा. झड कर पहले उसका वीर्य मेरे पेट में गया और फिर बिना रुके उस'ने मेरे मुँह में मूत कर मेरी प्यास बुझा दी.

इस दौरान मैं उस'के चूतडो को बाँहों में भर'कर उस'की गान्ड में उंगली कर रहा था. टट्टी के बाद उस'की गान्ड एकदम गीली चिकनी और गरम हो गयी थी. क्या मज़ा आएगा मेरे यार की वह टट्टी की हुई गान्ड मार'कर, मैं सोच रहा था. इस'लिए मेरे मुँहासे लंड निकाल'कर जब प्रीतम आख़िर उठ'ने लगा तो उसे मैने खींच कर फर्श पर ऑंढा पटक दिया और उस पर चढ कर अपना लंड उस'की गान्ड में उतार दिया.

प्रीतम को आश्चर्य हुआ पर वह अब बहुत अच्छे मूड में था. चुपचाप पड़ा पड़ा मरावाता रहा. मैने मन लगा कर उस'की गान्ड मारी और प्रीतम ने भी मेरा आनंद बढ़ा'ने को अप'ने चूतड उच्छाल उच्छाल कर मरवाई. आख़िर जब हम बेड रूम में गये तो मैं अपनी ब्रा, पैंटी और विग उतार'ने लगा.

रह'ने दे यार, बहुत प्यारा लग'ता है. अब घर में ऐसा ही रहा कर. आदत डाल ले. रात को प्रीतम ने मुझे कहा.

आ यार, देखेगा मेरी मा और प्रदीप की तस्वीर? मैं उच्छल पड़ा. आख़िर उस'ने मुझे अप'ने घर की बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था, नहीं तो वह कभी नहीं दिखाता! मैं हमेशा की तरह गान्ड में उसका लंड लेकर उस'की गोद में बैठ था. वह वैसे ही उठ कर मुझे बाँहों में उठ'कर अपनी सूटकेस के पास आया और एक लिफ़ाफ़ा निकाल'कर वापस सोफे पर आ गया. तब तक मैं पैर उठ'कर उस'की गर्दन में बाँहें डाल'कर लटका रहा. अब गान्ड में उसका लंड ना हो तो मुझे अटपटा लग'ता था.

लिफाफे से निकाल'कर उस'ने अपनी मा और प्रदीप की फोटो दिखाई. पहली फोटो में तीनों पूरे कपड़ों में एक साथ खड़े थे. प्रदीप प्रीतम जैसा ही दिख'ता था, ज़रा और लंबा और तगड़ा था. उन'की मा को देख'कर तो मैं दीवाना हो गया. रंग सांवला था, करीब करीब काला ही था पर भरे हुए शरीर की उस नारी को देख'कर ही मन में असीम कामना जाग'ती थी. साड़ी सफेद साड़ी और चोली में उस'के भारी भरकम उरोज आँचल के नीचे से भी दिख रहे थे. बालों में कुच्छ सफेद लटे भी थी. आँखों में छिनालपन लिए वह बड़े शैतानी अंदाज से मुस्करा रही थी.

बस दो फोटो और थी. उन'में चेहरा नहीं था, पर सॉफ था कि किस'की हैं. एक में मा का सिर्फ़ जांघों और गले के बीच का नग्न भाग था. ये बड़े बड़े नारियल जैसे लट'के मम्मे और उनपर जामुन जैसे चूचुक. झाँटें ऐसी घनी कि आधा पेट उन'में धक गया था. दूसरे फोटो में मा की झांतों से भरी चूत में धंसा एक गोरा गोरा लंड था. सिर्फ़ ज़रा सा बाहर था इस'लिए लंबाई तो नहीं दिख रही थी पर मोटायी देख'कर मन सिहर उठ'ता था. किसी बच्चे की कलाई जैसा मोटा डंडा था. मेरे चेहरे पर के भाव देख'कर वह हंस'ने लगा.

मज़ा आएगा जब तेरी गान्ड में यह लंड उतरेगा. तेरा मुँह बाँधना पड़ेगा नहीं तो ऐसा चीखेगा जैसे हलाल हो रहा हो. मुझे भी बहुत दुखा था. मैं बस आठ साल का था जब प्रदीप ने मेरी मारी थी. रात भर बेहोश रहा था मैं. बोल अब भी तैयार है प्रदीप की बहू बन'ने को या डर गया? मैं डर तो गया था पर उस'की मा के सेक्सी देसी रूप और प्रदीप के लंड की कल'पना से लंड में ऐसी मीठी कसक हो रही थी कि मैं मचल उठा.

प्रीतम मेरे राजा, मैं मर भी जाऊं तो भी चलेगा! मुझे गाँव ले चल और तुम तीनों का गुलाम बना ले. दूसरे ही दिन प्रीतम ने मेरे तीन फोटो खींचे. एक पूरे कपड़ों में लड़'की के रूप में और एक सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और विग में. पैंटी के ऊपर के भाग से मेरा लंड बाहर निकल'कर दिख रहा था. तीसरे में मैं पूरा नग्न अप'ने स्वाभाविक लड़'के के रूप में था. फोटो के साथ एक चिठ्ठी लिख'कर उस'ने प्रदीप को बताया कि उस'के मन जैसी 'शी मेल' बहू मिल गयी है और उसे पसंद हो तो आगे जुगाड़ किया जाए.

अगले कुच्छ दिन मज़े में गये. हर हफ्ते दो तीन बार प्रीतम एक चप्पल मुझे खिला देता. हां उस दिन के बाद उस'ने मेरे मुँह में टट्टी नहीं की. मैने बहुत मिन्नत की पर वह अडिग रहा. बोला.

अब एकदम तू बहू बन'ने के बाद होगा सब कुच्छ. अभी से तू उसका आदी हो जाएगा तो फिर सुहाग रात में मज़ा नहीं आएगा. मैं चाह'ता हूँ कि कम से कम कुच्छ ऐसे मामलों में तू कुँवारा रहे. इसीलिए चप्पल की जोड़ी भी अब तक मैने एक साथ तेरे मुँह में नहीं ठूँसी. अब गाँव में तीनों मिल'कर तेरे साथ ये सब घिनौने कुकर्म करेंगे तब आएगा मज़ा. और एक बात है, तेरी चप्पालों की कितनी जोड़ियाँ हैं तेरे पास मैने कहा कि आधा दर्जन हैं. मुँह बना'कर वह बोला

कम पड़ेंगीं. आज ही दर्जन भर और ले आते हैं, उन्हें पहनना शुरू कर दे. उस दिन जा'कर मेरे नाप की एक दर्जन चप्पलें हम ले आए. सब पतली नाज़ुक और एकदम पतले पत्तों वाली थी. मेरी पुरानी चप्पलें उस'ने अंदर रख दीं, और बोला कि ये सब नयी चप्पलें रोज बारी बारी से पहनूं, उन्हें घिसना और मेरे पैर का स्वाद लगाना ज़रूरी है.

मैने बॉल कटाना कब का छोड दिया था. पहले ही मेरे बाल काफ़ी लंबे थे, अब करीब करीब कंधे तक आ गये थे. जल्दी भी बढाते थे इस'लिए मुझे विश्वास था कि दो तीन माह में चोटी या जूड़ा बाँध'ने लायक हो ही जाएँगे.



मैं अर्धनारी बना

दो हफ्ते बाद प्रदीप का जवाब आया. पढ कर प्रीतम मुस्करा'ने लगा, फिर थोड गंभीर हो गया. मैने धडकते दिल से पूचछा

क्या हुआ यार? प्रदीप भैया को मैं पसंद आया या नहीं?

हां और ना. कह'ता है कि बड़ा प्यारा छोकरा है. देखते ही उसका लंड खड़ा हो गया. पर एक बात पर वह अड़ा है. कह'ता है की चूचियाँ नहीं हैं लड़'के की. प्रीतम बोला.

पर ब्रा तो मैं पहनूंगा ना? और बड़ी पहन लूँगा. मैने कहा.

वह असली चूचियाँ चाह'ता है. तूने देखा है ना उन शी मेल फोटो में? वे लड़'के इंजेक्शन से और ऑपरेशन से सच मुच के मम्मे बढ़ा लेते हैं. प्रदीप चाह'ता है कि तेरी भी वैसी ही चूचियाँ हों. मैं उदास हो गया. असली चूचियाँ मैं कहाँ से लाऊँ? प्रीतम मुझे प्यार से चूम कर बोला.

तू तैयार है क्या चूचियाँ उगा'ने को? फिर मैं जुगाड़ कर'ता हूँ. एक डॉक्टर है मेरी पहचान का. वह ऐसा कर'ता है. बस दो घंटे का ऑपरेशन है. दो हफ्ते में टाँकों के निशाम भी भी गायब हो जाएँगे. फिर मज़ा ही मज़ा है. मैने पूच्छा.

पर यार, सिलिकॉन के इंजेक्शन से तो दस मिनिट में हो जाएगा. फिर ऑपरेशन की क्या ज़रूरत है?

सादे मम्मे थोड़े उगाएँगे तेरे! सच के मम्मे जिन'में दूध भी भरा जा सके. प्रीतम मुस्कराता हुआ बोला. मेरे चेहरे पर झलक आए आश्चर्य को देख'कर उस'ने समझाया.

तेरी छा'ती में चमडी के नीचे दो रब्बर की थैलियाँ भरी जाएँगी. उनका मुँह तेरे चूचुकों के छेद से जोड़ा जाएगा जिससे ऊपर से पिचकारी से उन'में दूध, बीयर, शराब कुच्छ भी भरा जा सके. फिर उन'के चारों ओर स्पंज की गद्दियाँ लगा'कर आख़िर में ऊपर से इंजेक्शन से चमडी के नीचे सिलिकॉन भर देंगे. मस्त बड़ी दुधारू भैंस जैसे थन हो जाएँगे तेरे. तेरी चूचियाँ चूस'ने में फिर बहुत मज़ा आएगा. प्रदीप की बहुत इच्च्छा है कि उस'की बाहू के ऐसे मम्मे हों. बोल, है तैयार? मुझे उलझन में पड देख'कर उस'ने समझाया.

लगा ले मेरी जान, चार पाँच साल ऐश करेंगे. फिर चाहे तो दूसरे ऑपरेशन से निकाल देंगे. तू पहले जैसा वापस हो जाएगा. मैने कल'पना की कि अपनी चूचियाँ मैं खुद मसल रहा हूँ या उन'में दूध भर'कर प्रीतम को चुसवा रहा हूँ. ऐसा लंड तन्नाया कि मैं सिसक कर प्रीतम से चिपट गया.

चल करवा दे यार आज ही, अब मुझसे नहीं रुका जाता. प्रीतम इतना खुश हुआ कि मुझे उठ'कर बाँहों में जकड'कर चूम'ने लगा. उस रात उस'ने मुझे इतना प्यार किया और हौले हौले मन लगा'कर मुझसे हर तरह की इतनी रति की कि मैं निहाल हो गया. उस'ने डॉक्टर को फ़ोन कर'के अगले ही हफ्ते का समय भी ले लिया.

ऑपरेशन आसानी से हो गया. डॉक्टर बूढा खूसट था पर था एकदम एक्स्पर्ट. उस'ने ज़रा भी नहीं पूचछा कि मैं यह क्यों कर रहा हूँ. वह यह भी समझ गया था कि प्रीतम मेरा कौन लग'ता है! उसी से उस'ने पूचछा कि कितनी बड़ी चूचियाँ बनाना है और कितनी केपेसिटी की रब्बर की थैलियाँ अंदर रखना है? प्रीतम तो तैश में बोला कि बना दो चालीस साइज़ की, मस्त एक एक लीटर की चूचियाँ. पर डॉक्टर ने समझाया कि मेरे छरहरे बदन और सीने की चमडी से वे नहीं संभालेंगे, जल्द ही लटक जाएँगे.

डॉक्टर की सलाह पर मेरे छत्तीस साइज़ के स्तन बनाए गये. अंदर पाव पाव लीटर की दो रब्बर की थैलियाँ डाली गयीं. इम्पोर्टेड थी, महँगी पर प्रीतम ने सारे पैसे दिए. लगे हाथ मेरी झाँटें बिलकुल सॉफ कर दी गयीं और एलेक्ट्रोलिसिस से उन्हें जड़ तक ख़तम कर दिया गया. मेरी टाँगें, कांखों के बाल सब जगह के बाल उड़ा दिए गये. सिर के बालों को छोड'कर अब मेरा शरीर एकदम चिकना था.
क्रमशः................


YAAR BANA PRITAM - BHAAG (10)

gataank se aage........
Haan Pritam raajaa, main sach kah raha hoon. Please, miTa de meree bhookh. Teree gaanD ke halue ke aage duniya kee koee bhee miThaayee feekee hai Use bhee ab jaldee ho rahee thee, lunD aisa khaDa tha ki jaise faT jaayegaa. Mere shareer ke donon or pair jama kar wah neeche baiTha aur khisak'kar nishaama jama'ne lagaa. Us'ke maasal bhaaree bharakam chootaD ab mere chehare ke Theek oopar the.

Maine ap'ne haathon se us'ke nitamb chauDe kiye aur paas se guda ke andar dekhaa. Maja aa gayaa. Andar Thos TaTTee dikh rahee thee. Guda ko choon'kar maine us'men apanee jeebh Daalee us halue ka swaad lene ko. Meree jeebh ka chhor us Thos maal men gaya aur us kasaile khaTamiTThe swaad se aur is ghinaune kaam kee kaamuk bhaavana se mera lunD lohe ke Dande jaisa tann gayaa.

Raajaa, mere swaamee, ek ek niwaala khilaanaaa, jaldee naheen karanaa, main swaad le lekar khaaoongee ap'ne praaNanaath kee TaTTee. Kahate hue main munh ba kar intajaar kar'ne lagaa. Pritam uttejana men mere khule munh par apana guda jama kar baiTh gaya aur shuroo ho gayaa.

Le Maadhuri raanee, maja kar, kha meree TaTTee. Us'kee gaanD ka chhed khula aur ek moTee Thos lendee mere munh men utar'ne lagee. Mere yaar kee wah garam garam Thos TaTTee mere munh men gayee to main jhaD'ne ko aa gayaa. Pooree baDee lendee mere munh men ja'ne ke baad maine aankhon se use ishaara kiya aur Pritam ne guda sikoD kar lendee mere munh men gira dee.

Main munh band kar ke use chaba kar khoob swaad le lekar kha'ne lagaa. KaDave se aur kasaile swaad ke baawajood meree us kaamuk haalat men mujhe wah kisee pakawaan se kam naheen lag rahee thee. Jab maine TaTTee nigal lee to Pritam mera lunD pakaD'kar bolaa.

Kaisee lagee raanee, jara b'ta to! Maja aayaa? Roj kha sakegee? Main honth chaaTate hue bolaa.

Mere raajaa, ab bath room men tum sirf naha'ne ko aanaa. Ba'kee sab kaam mere munh men hee karanaa. Bahut achchha lag raha hai yaar, par abhee band mat karo, main peT bhar kar khaana chaah'tee hoon

Fikr mat kar meree raanee, ab to roj tujhe peT bhar'kar khilaaoongaa. Kah'kar Pritam'ne jor laga'kar agala niwaala apanee gaanD se nikaala aur mere munh men Daal diyaa. Us'kee saansen jor se chal rahee thee, ap'ne lunD ko pakaD kar wah kas kar muThiya raha thaa. Maine haath baDhaa'kar usaka haath thaan kar usaka hastamaithun band kiya naheen to saala waise hee jhaD jaataa.

Pritam kee gaanD khaalee kar'ne men das minute lag gaye. Beech men ek do baar Pritam apana poora wajan dete hue mere munh par hee baiTh gayaa. GaanD hila hila kar wah mere munh par apana guda ragaD raha thaa.

Kha raanee, ye le , aur TaTTee kha meree jaaneman. Meree raanee ke liye meree TaTTee haajir hai, tujhase main itana pyaar kar'ta hoon ki aaj ke baad tera peT din men do baar bhar doonga is halue se Wah sisak sisak kar haamfate hue kah raha thaa.

Jab us'kee gaanD khaalee ho gayee to us'ne ek gaharee saans lee. Maine usaka guda chaaT chaaT kar saaf kiya aur apanee jeebh gaharaayee tak us'kee gaanD men Daal kar kaN kaN Dhoondh kar kha liyaa.

Pyaas lagee hai raajaa, ab moot bhee pila de to mera khaana poora ho jaaye. Maine kahaa. Pritam uTha aur jhaT se us'ne mujhe daboch kar mera munh khola aur apana buree tarah se sooja hua lunD mere munh men ghuseD diyaa. Poora lauDa mere gale tak utaar'ne ke baad us'ne mera sir pakaD'kar ap'ne peT par dabaaya aur jameen par leT kar mere munh ko ghachaaghach chod'ne lagaa.

Main dam ghuT'ne se gongiya'ne lagaa. Gale ke andar wah moTa lauDa ghus'ne se takaleef ho rahee thee par maja bhee aa raha thaa. Pritam ne parawaah naheen kee aur mera munh chod'ta rahaa. JhaD kar pahale usaka veery mere peT men gaya aur fir bina ruke us'ne mere munh men moot kar meree pyaas bujha dee.

is dauraan main us'ke chootaDon ko baanhon men bhar'kar us'kee gaanD men ungalee kar raha thaa. TaTTee ke baad us'kee gaanD ekadam geelee chikanee aur garam ho gayee thee. Kya maja aayega mere yaar kee wah TaTTee kee huee gaanD maar'kar, main soch raha thaa. is'liye mere munhase lunD nikaal'kar jab Pritam aakhir uTh'ne laga to use maine kheench kar farsh par ondha paTak diya aur us par chaDha kar apana lunD us'kee gaanD men utaar diyaa.

Pritam ko aashchary hua par wah ab bahut achchhe mooD men thaa. Chupachaap paDa paDa marawaata rahaa. Maine man laga kar us'kee gaanD maaree aur Pritam ne bhee mera aanand baDhaa'ne ko ap'ne chootaD uchhaal uchhaal kar marawaayee. Aakhir jab ham bed room men gaye to main apanee braa, paintee aur wig utaar'ne lagaa.

Rah'ne de yaar, bahut pyaara lag'ta hai. Ab ghar men aisa hee raha kar. Aadat Daal le. Raat ko Pritam ne mujhe kahaa.

Aa yaar, dekhega meree maa aur Pradeep kee tasweer? Main uchhal paDaa. Aakhir us'ne mujhe ap'ne ghar kee bahoo ke roop men sweekaar kar liya thaa, naheen to wah kabhee naheen dikhaataa! Main hamesha kee tarah gaanD men usaka lunD lekar us'kee god men baiTha thaa. Wah waise hee uTh kar mujhe baanhon men uTha'kar apanee sooTakes ke paas aaya aur ek lifaafa nikaal'kar waapas sofe par aa gayaa. Tab tak main pair uTha'kar us'kee gardan men baanhen Daal'kar laTaka rahaa. Ab gaanD men usaka lunD na ho to mujhe aTapaTa lag'ta thaa.

Lifaafe se nikaal'kar us'ne apanee maa aur Pradeep kee foTo dikhaayee. Pahalee foTo men teenon poore kapaDon men ek saath khaDe the. Pradeep Pritam jaisa hee dikh'ta thaa, jara aur lamba aur tagaDa thaa. Un'kee maa ko dekh'kar to main deewaana ho gayaa. Rang saanwala thaa, kareeb kareeb kaala hee tha par bhare hue shareer kee us naaree ko dekh'kar hee man men aseen kaaman jaag'tee thee. Saadee safed saaDee aur cholee men us'ke bhaaree bharakam uroj aanchal ke neeche se bhee dikh rahe the. Baalon men kuchh safed laTen bhee thee. Aankhon men chhinaalapan liye wah baDe shaitaanayee andaaj se muskara rahee thee.

Bas do foTo aur thee. Un'men chehara naheen thaa, par saaf tha ki kis'kee hain. Ek men maa ka sirf jaanghon aur gale ke beech ka nagn bhaag thaa. Ye baDe baDe naariyal jaise laT'ke mamme aur unapar jaamun jaise chuchuk. Jhaanten aisee ghanee ki aadha peT un'men Dhak gaya thaa. Doosare foTo men maa kee jhaanton se bharee choot men dhansa ek gora gora lunD thaa. Sirf jara sa baahar tha is'liye lambaayee to naheen dikh rahee thee par moTaayee dekh'kar man sihar uTh'ta thaa. Kisee bachche kee kalaayee jaisa moTa Danda thaa. Mere chehare par ke bhaav dekh'kar wah hans'ne lagaa.

Maja aayega jab teree gaanD men yah lunD utaregaa. Tera munh baandhana paDega naheen to aisa cheekhega jaise halaal ho raha ho. Mujhe bhee bahut dukha thaa. Main bas aaTh saal ka tha jab Pradeep ne mere maaree thee. Raat bhar behosh raha tha main. Bol ab bhee taiyaar hai Pradeep kee bahoo ban'ne ko ya Dar gayaa? Main Dar to gaya tha par us'kee maa ke seksee desee roop aur Pradeep ke lunD kee kal'pana se lunD men aisee meeThee kasak ho rahee thee ki main machal uThaa.

Pritam mere raajaa, main mar bhee jaaoon to bhee chalegaa! Mujhe gaanv le chal aur tum teenon ka gulaam bana le. Doosare hee din Pritam ne mere teen foTo kheenche. Ek poore kapaDon men laD'kee ke roop men aur ek sirf braa, paintee aur wig men. Paintee ke oopar ke bhaag se mera lunD baahar nikal'kar dikh raha thaa. Teesare men main poora nagn ap'ne swaabhaavik laD'ke ke roop men thaa. FoTo ke saath ek chiThThee likh'kar us'ne Pradeep ko bataaya ki us'ke man jaisee 'shee mel' bahoo mil gayee hai aur use pasand ho to aage jugaaD kiya jaaye.

Agale kuchh din maje men gaye. Har hafte do teen baar Pritam ek chappal mujhe khila detaa. Haan us din ke baad us'ne mere munh men TaTTee naheen kee. Maine bahut minnat kee par wah aDig rahaa. Bolaa.

Ab ekadam too bahoo ban'ne ke baad hoga sab kuchh. Abhee se too usaka aadee ho jaayega to fir suhaag raat men maja naheen aayegaa. Main chaah'ta hoon ki kam se kam kuchh aise maamalon men too kunwaara rahe. iseeliye chappal kee joDee bhee ab tak maine ek saath tere munh men naheen Thoonsee. Ab gaanv men teenon mil'kar tere saath ye sab ghinaune kukarm karenge tab aayega majaa. Aur ek baat hai, teree chappalon kee kitanee joDiyaan hain tere paas Maine kaha ki aadha darjan hain. Munh bana'kar wah bola

Kam paDengeen. Aaj hee darjan bhar aur le aate hain, unhen pahanana shuroo kar de. Us din ja'kar mere naap kee ek darjan chappalen ham le aaye. Sab patalee naajuk aur ekadam patale paTTon waalee thee. Meree puraanee chappalen us'ne andar rakh deen, aur bola ki ye sab nayee chappalen roj baaree baaree se pahanoom, unhen ghisana aur mere pair ka swaad lagaana jarooree hai.

Maine baal kaTaana kab ka chhoD diya thaa. Pahale hee mere baal kaafee lambe the, ab kareeb kareeb kandhe tak aa gaye the. Jaldee bhee baDhaate the is'liye mujhe wishwaas tha ki do teen maah men choTee ya jooDa baandh'ne laayak ho hee jaayenge.



Main ardhanaaree banaa

Do hafte baad Pradeep ka jawaab aayaa. PaDha kar Pritam muskara'ne lagaa, fir thoDa gambheer ho gayaa. Maine dhaDakate dil se poochha

Kya hua yaar? Pradeep bhaiya ko main pasand aaya ya naheen?

Haan aur naa. Kah'ta hai ki baDa pyaara chhokara hai. Dekhate hee usaka lunD khaDa ho gayaa. Par ek baat par wah aDa hai. Kah'ta hai ki choochiyaan naheen hain laD'ke kee. Pritam bolaa.

Par bra to main pahanoonga naa? Aur baDee pahan loongaa. Maine kahaa.

Wah asalee choochiyaan chaah'ta hai. Toone dekha hai na un shee mel foTo men? We laD'ke injexan se aur operation se sach much ke mamme baDhaa lete hain. Pradeep chaah'ta hai ki teree bhee waisee hee choochiyaan hon. Main udaas ho gayaa. Asalee choochiyaan main kahaan se laaoom? Pritam mujhe pyaar se choom kar bolaa.

Too taiyaar hai kya choochiyaan uga'ne ko? Fir main jugaaD kar'ta hoon. Ek doctor hai meree pahachaan kaa. Wah aisa kar'ta hai. Bas do ghante ka operation hai. Do hafte men Taankon ke nishaam bhee bhee gaayab ho jaayenge. Fir maja hee maja hai. Maine poochhaa.

Par yaar, silikon ke injexan se to das minute men ho jaayegaa. Fir operation kee kya jaroorat hai?

Saade mamme thoDe ugaayenge tere! Sach ke mamme jin'men doodh bhee bhara ja sake. Pritam muskaraata hua bolaa. Mere chehare par jhalak aaye aashchary ko dekh'kar us'ne samajhaayaa.

Teree chha'tee men chamaDee ke neeche do rubber kee thailiyaan bharee jaayengee. Unaka munh tere chuchukon ke chhed se joDa jaayega jisase oopar se pichakaaree se un'men doodh, beeyar, sharaab kuchh bhee bhara ja sake. Fir un'ke chaaron or spanj kee gaddiyaan laga'kar aakhir men oopar se injexan se chamaDee ke neeche silikon bhar denge. Mast baDee dudhaaru bhains jaise than ho jaayenge tere. Teree choochiyaan choos'ne men fir bahut maja aayegaa. Pradeep kee bahut ichchha hai ki us'kee bahoo ke aise mamme hon. Bol, hai taiyaar? Mujhe ulajhan men paDa dekh'kar us'ne samajhaayaa.

Laga le meree jaan, chaar paanch saal aish karenge. Fir chaahe to doosare operation se nikaal denge. Too pahale jaisa waapas ho jaayegaa. Maine kal'pana kee ki apanee choochiyaan main khud masal raha hoon ya un'men doodh bhar'kar Pritam ko chusawa raha hoon. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Aisa lunD tannaaya ki main sisak kar Pritam se chipaT gayaa.

Chal karawa de yaar aaj hee, ab mujhase naheen ruka jaataa. Pritam itana khush hua ki mujhe uTha'kar baanhon men jakaD'kar choom'ne lagaa. Us raat us'ne mujhe itana pyaar kiya aur haule haule man laga'kar mujhase har tarah ki itanee rati kee ki main nihaal ho gayaa. Us'ne doctor ko fon kar'ke agale hee hafte ka samay bhee le liyaa.

Operation aasaanee se ho gayaa. Doctor booDhaa khoosaT tha par tha ekadam eksparT. Us'ne jara bhee naheen poochha ki main yah kyon kar raha hoon. Wah yah bhee samajh gaya tha ki Pritam mera kaun lag'ta hai! Usee se us'ne poochha ki kitanee baDee choochiyaan banaana hai aur kitanee kepesiTee kee rubber kee thailiyaan andar rakhana hai? Pritam to taish men bola ki bana do chaalees saaiz kee, mast ek ek liTar kee choochiyaan. Par doctor ne samajhaaya ki mere chharahare badan aur seene kee chamaDee se we naheen sambhalenge, jald hee laTak jaayenge.

Doctor kee salaah par mere chhattees saaiz ke stan banaaye gaye. Andar paav paav liTar kee do rubber kee thailiyaan Daalee gayeen. imporTeD thee, mahangee par Pritam ne saare paise diye. Lage haath meree jhaanten bilakul saaf kar dee gayeen aur elekTrolisis se unhen jaD tak khatam kar diya gayaa. Meree Taangen, kaankhon ke baal sab jagah ke baal uDa diye gaye. Sir ke baalon ko chhoD'kar ab mera shareer ekadam chikana thaa.
kramashah................







आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj

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